tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post3977085280294780239..comments2023-11-03T14:44:51.326+05:30Comments on रेत के महल: हिन्दू और हिन्दुइज्म - अक्सर पूछे जाने वाले कुछ सवाल Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comBlogger64125tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-51090262547484238152013-03-21T17:43:58.336+05:302013-03-21T17:43:58.336+05:30some info on the higs "god" particle can...some info on the higs "god" particle can be found here<br /><br />http://vigyan.wordpress.com/2013/02/15/higs3/Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-63970609779954529832012-08-16T13:48:57.941+05:302012-08-16T13:48:57.941+05:30@ समयाभाव ....हो तो माफ़ कीजियेगा क्योकि मै आप महि...@ समयाभाव ....हो तो माफ़ कीजियेगा क्योकि मै आप महिला हूँ विद्वान् महिला नहीं और पोस्ट पर आने में देर कर दी है :)<br />माफ़ करने करने जैसी कोई बात ही नहीं है - आप भी जानती हैं और मैं भी | किसी की duty थोड़े ही है की मेरी हर पोस्ट पढ़े / टिपण्णी करे .. | आपसे वहां <b>इसलिए कहना पड़ा क्योंकि आपने साफ़ लिखा था की यह पोस्ट आपके लिए नहीं है - और ऐसे कोई बात हो तो क्लियर करना आवश्यक है मेरे लिए |</b> i Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-89653265247954416092012-08-16T11:51:29.777+05:302012-08-16T11:51:29.777+05:30
रही भक्ति मार्ग की बात तो कुछ चीजो के लिए समाज मे...<br />रही भक्ति मार्ग की बात तो कुछ चीजो के लिए समाज में प्रतिक बनाये गये ताकि लोग उस चीज का महत्व अपने जीवन में समझे अब जैसे विद्या और ज्ञान की देवी सरस्वती जी को ही ले ले , विवाह के पहले मै भी हर वसंत पंचमी को सरस्वती पूजा करती थी ये हमारे घर की परम्परा थी , मेरे जन्म से पहले घर में पढ़ने वाले बच्चे करते थे , मेरी लिए वो मात्र प्रतिक की और ये दर्शाने का जरिया थी की हा मेरे जीवन में इस समय ज्ञानanshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-14836654349564550102012-08-16T11:43:04.891+05:302012-08-16T11:43:04.891+05:30
आप की इस बात से भी सहमत नहीं हूं की नास्तिकता आज ...<br />आप की इस बात से भी सहमत नहीं हूं की नास्तिकता आज की देन है , ये हमेसा से था ईश्वर को मानने वाले हमेसा इस बात से डरते थे की उन्होंने समाज में ईश्वर का निर्माण उसे व्यवस्थित रखने और नियंत्रण के लिए किया है यदि किसी ने उसे मानने से इनकार कर दिया तो क्या होगा , हिरन्यकश्यप , सती के पिता प्रजापति आदि क्या थे एक तरह से नास्तिक ही थे जिनके लिए कहा गया की यदि आप भगवान में विश्वास नहीं रखते है उनसे anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-16655534099778893112012-08-16T11:38:14.675+05:302012-08-16T11:38:14.675+05:30
शिल्पा जी
समयाभाव के कारण आप की ...<br />शिल्पा जी<br /> समयाभाव के कारण आप की पोस्ट पर जवाब नहीं दे सकी और खुद कहने के बाद भी आप की पोस्ट की चर्चा को पढ़ नहीं सकी इसलिए नहीं जानती की बाद में क्या चर्चा हुए और आप ने क्या जवाब दिया बिना बाकि चर्चा पढ़े कुछ बाते थी दिमाग में वो कहना चाहती थी वो कह रही हूँ , बातो में तारतम्यता ना हो तो माफ़ कीजियेगा क्योकि मै आप महिला हूँ विद्वान् महिला नहीं और पोस्ट पर आने में देर कर दीanshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-21853620165442683182012-08-15T22:01:49.632+05:302012-08-15T22:01:49.632+05:30aapko bhi shhubhkaamnayein aapko bhi shhubhkaamnayein Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-56643689858984051722012-08-15T08:18:19.334+05:302012-08-15T08:18:19.334+05:30सार्थक पोस्ट,सार्थक टिप्पणियाँ.
सभी को स्वतंत्रता...सार्थक पोस्ट,सार्थक टिप्पणियाँ.<br /><br />सभी को स्वतंत्रता दिवस महोत्सव पर बधाईयाँ और शुभकामनाएँ. <br />Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-5394365266825177922012-08-15T07:48:55.716+05:302012-08-15T07:48:55.716+05:30स्वतंत्रता दिवस महोत्सव पर बधाईयाँ और शुभ कामनाएं ...स्वतंत्रता दिवस महोत्सव पर बधाईयाँ और शुभ कामनाएं Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-41744600015264473802012-08-14T19:58:31.721+05:302012-08-14T19:58:31.721+05:30:):)Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-14258014550582316902012-08-14T19:43:56.276+05:302012-08-14T19:43:56.276+05:30सच,है
और सच है | हमें अपने बच्चों को रैशनल बनाना ...सच,है <br />और सच है | हमें अपने बच्चों को रैशनल बनाना ही चाहिए | किन्तु जो ये लेख आदि पढेंगे - वे "सभी" तो हमारे अपने बच्चे नहीं होंगे | तो सामाजिक जिम्मेदारी भी है ब्लोग्लेखकों पर :) जैसे पोलिओ द्रोप्स का एड आता है न - अपने बच्चे को दवा पिला भी दी है तो सामाजिक हित के लिए इस तिथि को अवश्य पिलाएं - दो बूँद ज़िन्दगी की ....:)Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-46293348365875171992012-08-14T18:43:53.923+05:302012-08-14T18:43:53.923+05:30इस अनजाने परिणाम के बारे में सोचकर ही ऐसा कुछ लिखन...इस अनजाने परिणाम के बारे में सोचकर ही ऐसा कुछ लिखने से पहले कई बार सोचने की बात कही है| हालांकि इससे बढ़कर मैं ये मानता हूँ कि हमें अपने बच्चों की सोच को रेशनल बनाने पर ज्यादा जोर देना चाहिए ताकि वो सिर्फ कहीं कुछ सुन पढकर भ्रमित न हों|संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-36525430706987393412012-08-14T18:39:49.174+05:302012-08-14T18:39:49.174+05:30संजय जी को सज्जन बताया गया है, ये आप लोगों की दुरभ...संजय जी को सज्जन बताया गया है, ये आप लोगों की दुरभिसंधि है और मैं इसका विरोध करता हूँ :)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-6555177405871548202012-08-14T17:06:33.852+05:302012-08-14T17:06:33.852+05:30@भक्त यदि सच ही भक्त है - तो वह यह नहीं कहता कि मै...@भक्त यदि सच ही भक्त है - तो वह यह नहीं कहता कि मैं श्रेष्ठ हूँ और दुसरे कमतर हैं<br /><br />आपकी बात से अक्षरश सहमत!! सच्चे अर्थों वाले भक्त को वह उत्कृष्ट दशा अहंकार के गलन और समर्पण के बाद ही प्राप्त होती है। यह भक्ति की यह उच्च दशा अनुकरणीय है।<br />सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-51578009099459778722012-08-14T16:37:02.655+05:302012-08-14T16:37:02.655+05:30आभार आपका अनुराग जी आभार आपका अनुराग जी Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-72745179622068293692012-08-14T16:33:37.482+05:302012-08-14T16:33:37.482+05:30@ पहली बात तो यह कि "अपने भक्तिमार्ग को ही एक...@ पहली बात तो यह कि "अपने भक्तिमार्ग को ही एकांत सही अनुसरण बताता हुआ भक्त अपनी ही भक्ति की श्रेष्ठता" यह बात ही गलत है | भक्त यदि सच ही भक्त है - तो वह यह नहीं कहता कि मैं श्रेष्ठ हूँ और दुसरे कमतर हैं | यह अहंकार भक्त की निशानी नहीं |<br /><br />- (पूरी विनम्रता के साथ कहूंगा कि) मैं भी यही समझता हूँ। भ्रम हैं (और उनके कारण भी) लेकिन भक्त और भक्ति में सब कुछ अपने आराध्य पर टालने/Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-22884116999764186522012-08-14T14:10:58.176+05:302012-08-14T14:10:58.176+05:30जी - आभार |
आप प्रतिकार न भी करते, तब भी यह वाक्...जी - आभार | <br /><br />आप प्रतिकार न भी करते, तब भी यह वाक्य "अपराध" के रूप में नहीं, अनजाने कही गयी अनेक ऐसी बातों में सम्मिलित होता | अपराध तो वे कर रहे हैं, जो मन में अपमान का "उद्देश्य" रख कर ये बातें कहते हैं | ऊपर से मीठे बन कर, बगल में छुरी छिपाए चलते हैं | आप और संजय जी जैसे सज्जन जन तो ऐसा कर ही नहीं सकते |<br /><br />मैं जानती हूँ की आपके मन में उद्देश्य "Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-60700736235612801992012-08-14T14:01:00.287+05:302012-08-14T14:01:00.287+05:30@ आपके विश्वास पर विश्वास रखना जरूरी है :)
:) रखिय...@ आपके विश्वास पर विश्वास रखना जरूरी है :)<br />:) रखियेगा , और समय समय पर मुझे भी यह विश्वास देते रहिएगा | मैं बिलकुल साधारण सांसारिक स्त्री हूँ, दैनिक चर्या में आई साधारण परेशानियों आदि में घिर कर अक्सर अपने पथ से भटकती हूँ, अक्सर अपना विश्वास खो देती हूँ :)<br /><br />@ भक्त का यही आग्रह अतिशयोक्ति बन जाता है। भक्ति के ही दूसरे उपायों को निरस्त कर अपने भक्तिमार्ग को ही एकांत सही अनुसरण बताता Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-63331330649566167122012-08-14T13:53:23.516+05:302012-08-14T13:53:23.516+05:30मेरी बात का समापन मेरे इन विचारों के साथ करता हूँ,...मेरी बात का समापन मेरे इन विचारों के साथ करता हूँ, क्योंकि मेरे एक वाक्य के प्रयोग से मेरी अपनी आस्था अनास्था पर बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह लग रहा था। सवाल मात्र आपकी नाराजगी का ही नहीं है, आपने रेखांकित किया तो प्रकान्तर से एक सामान्य से वाक्य ने समग्र हिन्दुत्व को हानि पहुंचाने का कारण प्रतीत हो रहा है। इस भ्रम का प्रतिकार आवश्यक था। और यह स्पष्ट करना भी जरूरी था कि मेरी निष्ठाएं भी इतनी ही दूरगामी सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-12199243224114223912012-08-14T13:41:12.592+05:302012-08-14T13:41:12.592+05:30सभी आदरणीय सुधीजनों,
आवश्यक है यह समझना कि आदर के ...सभी आदरणीय सुधीजनों,<br />आवश्यक है यह समझना कि आदर के संबोधन भी व्यक्ति की गरिमा के अनुसार ही उपयुक्त लगते हैं | हम किसी को "सर" कहते हैं, आदर देने के लिए | किसी को "राजा" कहते हैं, तो भी आदर से है, और "मंत्री" कहते हैं तो भी आदरणीय ही है | किन्तु इस संबोधनों के स्थान और स्थिति में फर्क है |<br /><br />यदि हम एक सिपाही या नायब सूबेदार को कैप्टेन कहें, तो यह आदर Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-21856118771922158422012-08-14T12:33:18.791+05:302012-08-14T12:33:18.791+05:30@ इतना विश्वास ?
-आपके विश्वास पर विश्वास रखना जर...@ इतना विश्वास ? <br />-आपके विश्वास पर विश्वास रखना जरूरी है :)<br /><br />@ "सभी विश्वास और भक्ति से ही जाने"……आग्रह कोई भी "महत्वहीन" नहीं होते |वे एक सकारात्मक मानसिकता के साथ किये जाते हैं |<br />-भक्त का यही आग्रह अतिशयोक्ति बन जाता है। भक्ति के ही दूसरे उपायों को निरस्त कर अपने भक्तिमार्ग को ही एकांत सही अनुसरण बताता हुआ भक्त अपनी ही भक्ति की श्रेष्ठता के प्रति स्वार्थीसुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-10348131884395369432012-08-14T12:30:31.828+05:302012-08-14T12:30:31.828+05:30@ आपकी चिंता, आपके प्रश्नों से इत्तेफाक रखता हूँ|
...@ आपकी चिंता, आपके प्रश्नों से इत्तेफाक रखता हूँ|<br />आभार है संजय जी :)<br /><br />@ निशांत, अनुरागजी और सुज्ञ जी के कमेंट्स और आपके तर्क पढकर खुद को ही जवाब देने की कोशिश करूँगा, ऐसा ही आपने कहा भी है|<br />हाँ, हम सब खुद से ही मुखातिब हैं | वैसे भी धर्म पथ की यात्रा भीतर ही उन्मुख होती है, बाहर की और उसकी परछाई भर होती है | हाँ, यदि बाहरी व्यवहार किसी और की या आने वाली पीढ़ी की यात्रा को सुगमShilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-9240945217248584232012-08-14T10:52:41.752+05:302012-08-14T10:52:41.752+05:30@ बिलकुल ठीक फरमाया, आप कृष्ण को सिर्फ और सिर्फ वि...@ बिलकुल ठीक फरमाया, आप कृष्ण को सिर्फ और सिर्फ विश्वास और भक्ति से ही जान सकती है। <br />इतना विश्वास ? <br /><br />@ ऐसे में यह आग्रह महत्वहीन है कि सभी विश्वास और भक्ति से ही जाने। <br />आग्रह कोई भी "महत्वहीन" नहीं होते | वे एक सकारात्मक मानसिकता के साथ किये जाते हैं | हाँ, उन्हें स्वीकार न करना सामने वाले का अपना निर्णय होता है - वह स्वीकारे या न स्वीकारे - इससे आग्रह महत्वहीन नहींShilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-61981562947423498772012-08-14T10:43:56.444+05:302012-08-14T10:43:56.444+05:30@ वे तो 'धर्म-विरोधी' या अ-धर्मी ही हो सक...@ वे तो 'धर्म-विरोधी' या अ-धर्मी ही हो सकते है। जहां तक मैं समझता हूँ यह पोस्ट व प्रश्न उन्हें सम्बोधित नहीं है। <br />नहीं - यहाँ का कोई भी प्रश्न उन्हें संबोधित नहीं है |<br /><br />@ और जिन्हें सम्बोधित है उनपर यह आरोप लगाया नहीं जा सकता। क्योंकि उनकी अपनी पूर्ण आस्था का दृष्टिकोण है। <br />आरोप ? आरोप लगा रही थी मैं ? आपको ऐसा लगा हो, तो क्षमाप्रार्थी हूँ | नहीं मैं आरोप नहीं लगा रहीShilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-68578610817042394312012-08-14T10:39:54.707+05:302012-08-14T10:39:54.707+05:30जी
अपना अपना नज़रिया है | आपके कर्म आपका निर्णय ह...जी <br />अपना अपना नज़रिया है | आपके कर्म आपका निर्णय हैं, मेरे कर्म मेरा निर्णय हैं |<br /><br />हाँ यह ज़रूर जान लीजिये की मैं " ऐतराज़" नहीं कर रही हूँ, "appeal" कर रही हूँ | दोनों में फर्क है | Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-85786476061147282582012-08-14T02:24:14.089+05:302012-08-14T02:24:14.089+05:30@ मैं उसे सिर्फ और सिर्फ विश्वास और भक्ति से ही जा...@ मैं उसे सिर्फ और सिर्फ विश्वास और भक्ति से ही जान सकती हूँ |आप ज्ञान पथ के यात्री होंगे, मैं भक्ति पथ पर ही ठीक हूँ |<br /><br />बिलकुल ठीक फरमाया, आप कृष्ण को सिर्फ और सिर्फ विश्वास और भक्ति से ही जान सकती है। ऐसे में यह आग्रह महत्वहीन है कि सभी विश्वास और भक्ति से ही जाने। आप भक्ति पथ पर ही ठीक है, मुझे नहीं पता निर्गुण सगुण अवधारणा में क्या है और न ही दावे से कह पाउं कि ज्ञानमार्गी हूँ। सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.com