tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post624227976027886313..comments2023-11-03T14:44:51.326+05:30Comments on रेत के महल: एको राम इक ओंकारShilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-22247233451014725572011-11-30T14:10:40.671+05:302011-11-30T14:10:40.671+05:30@ हर विसर्जन नव सृजन के लिए होता है ....
"रेत...@ हर विसर्जन नव सृजन के लिए होता है ....<br />"रेत के महल" शीर्षक पर पिछली बार मैंने कुछ टिप्पणी की थी. ब्लॉग विलोपन के पश्चात हुए नव अवतार में आपने दार्शनिक पुट देकर ' आगे कोई शंका न करे' -का पहले से ही समाधान कर दिया है. अच्छा लगा.<br />भारतीय प्राच्य साहित्य को विकृत करने की दृष्टि से या किसी भाष्यकार की अल्प बुद्धि के कारण प्रक्षिप्तांशों का पाया जाना सर्वविदित है. मैं बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-39783655607099976032011-11-28T20:59:30.842+05:302011-11-28T20:59:30.842+05:30नए रूप रंग और मज़बूती के साथ रेत का महल अच्छा लग र...नए रूप रंग और मज़बूती के साथ रेत का महल अच्छा लग रहा है। आशा है हम बराबर इस गृह में आते-जाते रहेंगे।<br />शुभकामनाएं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com