tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post7914321859595833987..comments2023-11-03T14:44:51.326+05:30Comments on रेत के महल: सभ्यता शासन क़ानून व्यवस्था दंड प्रक्रिया 4Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-30117432508170900762013-02-22T10:06:49.374+05:302013-02-22T10:06:49.374+05:30बहुत गहन विश्लेषण..हमारा वर्तमान अतीत की ही उपज है...बहुत गहन विश्लेषण..हमारा वर्तमान अतीत की ही उपज है.Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-5110712181741903912013-02-20T16:17:04.553+05:302013-02-20T16:17:04.553+05:30बहुत बढ़िया विश्लेषण |
शक्ति केंद्र पंडित बना, संता...बहुत बढ़िया विश्लेषण |<br />शक्ति केंद्र पंडित बना, संतानों हित ज्ञान |<br />क्षत्रिय रक्षा तंत्र से, दुष्टों प्रति अभियान |<br />दुष्टों प्रति अभियान, वस्तु जीवन-उपयोगी |<br />करे वनिक व्यापार, चाहते योगी भोगी |<br />पर चौथे के पास, शक्ति के केंद्र नदारद |<br />बदल परिस्थिति किन्तु, बने विद्वान विशारद ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-48544761406581407822013-02-20T15:25:35.135+05:302013-02-20T15:25:35.135+05:30विद्या का अध्ययन और अध्यापन करने वाले ब्राहमण ,दे...विद्या का अध्ययन और अध्यापन करने वाले ब्राहमण ,देश या समाज के रक्षक क्षत्रिय ,व्यवसायी वैश्य , कृषि आदि अन्य काम करने वाले शुद्र . यही वर्ण प्रथा है . एक ब्राह्मण का बेटा शुद्र भी हो सकता है यदि वह कृषि करता है या वैश्य हो सकता है यदि व्यवसाय करता है. लेकिन सामाज में ब्राह्मण का लड़का ब्राह्मण माना जाता है जन्म को आधार मान कर जबकि उसके कर्म के आधार पर उसे शुद्र या वैश्य होना चाहिए.. ...वास्तव कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-82331348221435209302013-02-20T14:35:19.799+05:302013-02-20T14:35:19.799+05:30धन, विद्या, शक्ति(संगठित या ओर्गेनाईज़्ड शक्ति की ब...धन, विद्या, शक्ति(संगठित या ओर्गेनाईज़्ड शक्ति की बात कर रहा हूँ) के अभाव में निश्चित ही एक वर्ग को सामान्य अधिकारों से भी वंचित रहना पड़ा। समाज के आंतरिक कारक निश्चित ही इसके जिम्मेदार रहे हैं। एक मत ऐसा भी है जो कहता है कि देश पर बाहरी शक्तियों का आधिपत्य हो जाने के बाद बहुत से ऐसे लोग जिन्होंने बलात धर्मांतरण स्वीकार नहीं किया, दंडस्वरूप क्रूर शासकों द्वारा उन्हें भी इस चौथे वर्ण में जाने को संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-41346002885767949302013-02-20T13:14:16.802+05:302013-02-20T13:14:16.802+05:30ठीक है -सहमति ! अगले अंक का इंतज़ार है! कालांतर मे...ठीक है -सहमति ! अगले अंक का इंतज़ार है! कालांतर में हर वर्ग में अपने पारंपरिक कार्यों में विचलन हुआ -कारण कि ब्राहमण जहाँ दरिद्र होते गए तो उन्हें भी धनोपार्जन की स्वाभाविक जरुरत उत्पन्न हुई होगी ......द्रोणाचार्य की गरीबी देखिये ,,,,ऐसे ही सभी वर्गों में विचलन हुआ Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com