tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post1501779277976603015..comments2023-11-03T14:44:51.326+05:30Comments on रेत के महल: थाह है, या अथाह है ?Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-36996249473791991432019-11-05T10:07:49.809+05:302019-11-05T10:07:49.809+05:30https://twitter.com/binakapur/status/1066578890968...https://twitter.com/binakapur/status/1066578890968244224?s=09Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05573053652034133278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-84237313105912520302013-07-10T20:23:04.148+05:302013-07-10T20:23:04.148+05:30WHA DOST BAHUT KHUB LIKHA AAP NE
लाश थी इसलिए तै...WHA DOST BAHUT KHUB LIKHA AAP NE <br /><br />लाश थी इसलिए तैरती रह गई<br />डूबने के लिए जिंदगी चाहिए।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-90160551398966174632012-02-05T10:37:27.608+05:302012-02-05T10:37:27.608+05:30:)
oopar meri tippani dekhein - devendra ji se ba...:) <br />oopar meri tippani dekhein - devendra ji se baatcheet <br />:)Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-91566116881828906792012-02-04T18:11:30.047+05:302012-02-04T18:11:30.047+05:30वाह! दो ही पुतले क्यूँ थे नमक के.
एक आध शक्कर का प...वाह! दो ही पुतले क्यूँ थे नमक के.<br />एक आध शक्कर का पुतला भी कुदा देतीं न शिल्पा जी.<br />क्षीर सागर तो मीठा ही मीठा है न.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-7357936518951047242012-01-25T23:13:06.108+05:302012-01-25T23:13:06.108+05:30जिन खोजा तिन पाइयां ...गहरे पानी पइठि....
और जब पा...जिन खोजा तिन पाइयां ...गहरे पानी पइठि....<br />और जब पा लिया तब रम गया उसी में ......गूंगे के गुड़ की तरह किसी को बताना भी चाहे तो न बता सके ...बता सकता तो इतने वेद पुराण पढ़कर सब अब तक जान गए होते ...सबने पा लिया होता ....यह जो पाना है इसे तो खुद ही करना होता है.....बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-58838968536383084062012-01-25T21:45:29.435+05:302012-01-25T21:45:29.435+05:30सत्य वचन :)सत्य वचन :)Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-27827057341777385412012-01-25T21:08:12.956+05:302012-01-25T21:08:12.956+05:30:)
शक्कर के बोरे भी कूद सकते हैं, पत्थर भी कूद सकत...:)<br />शक्कर के बोरे भी कूद सकते हैं, पत्थर भी कूद सकते हैं। कूदने पर निःसंदेह सागर उन्हें आत्मसात कर लेगा पर हाय! वे कूदते नहीं। उन्हे इसका अहसास भी नहीं होता। कूदते तो नमक के बोरे हैं क्योंकि उनमें सागर तत्व मौजूद रहता है। कूदेगा वही जिसमें सत्य को जानने की ललक होगी।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-41558112371538784272012-01-25T08:38:42.956+05:302012-01-25T08:38:42.956+05:30वाह देवेन्द्र जी - कितनी अच्छी बात कही है आपने !!!...वाह देवेन्द्र जी - कितनी अच्छी बात कही है आपने !!! कूदने को वे शायद तैयार हुए ही इसलिए, की उनमे सागर तत्त्व सत्व मौजूद था |<br /><br />फिर इसके आगे की सोच - सागर में सब कुछ है - हममे से जिस किसी में जो भी तत्त्व / स्वभाव है - वह सब कुछ उस परम में है , जो कूदेगा - देर सबेर अपने मूल तत्त्व में घुल ही जाएगा | पत्थर भी कूदे - जा कर बैठेगा तो उसी सागर के तल ताल में न ? तो सागर तो वह भी हो ही जायेगा | Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-46389419396972656502012-01-25T08:33:24.895+05:302012-01-25T08:33:24.895+05:30वाह देवेन्द्र जी - कितनी अच्छी बात कही है आपने | क...वाह देवेन्द्र जी - कितनी अच्छी बात कही है आपने | कूदने को वे शायद तैयार हुए ही इसलिए, की उनमे सागर तत्त्व सत्व मौजूद था |<br />सूत्रधार जी, रश्मि जी, मनोज सर - आभार आपका :)Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-64706793604531069822012-01-24T23:27:29.826+05:302012-01-24T23:27:29.826+05:30यह विवाद चलता रहेगा।यह विवाद चलता रहेगा।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-62931014586506251292012-01-24T22:37:01.263+05:302012-01-24T22:37:01.263+05:30इस दर्शन पर और सोचा।
दिल ने पूछा..
नमक के बोरे...इस दर्शन पर और सोचा। <br /><br />दिल ने पूछा.. <br /><br />नमक के बोरे ही क्यों कूदे ? चीनी के बोरे भी तो कूद सकते थे! वे भी तो घुल जाते। पत्थर भी तो कूद सकता था! झट से थाह पा लेता। नमक के बोरे ही क्यों कूदे ?<br /><br />दिमाग ने कहा..<br /><br />नमक के बोरे इसलिए कूदे क्योंकि समुंद्र का पानी खारा होता है। अर्थ यह निकला कि कूदेगा वही जिसका स्वभाव सत्य के जैसा होगा। जिसमें सत्य को जानने की ललक देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-90855157907021424682012-01-24T22:08:04.603+05:302012-01-24T22:08:04.603+05:30सत्य यही है। जिसने थाह लगाने की कोशिश करी, घुलता च...सत्य यही है। जिसने थाह लगाने की कोशिश करी, घुलता चला गया..उसी का हो गया। किनारे खड़ी भीड़ चीखती रहती है..सत्य क्या है..थाह या अथाह। जो आगे बढ़ा..डूबा..फिर बताने के लिए बाहर नहीं आ पाया।<br />जो कूदे मगर डूबने के भय से तैरने लगे, वे काठ हो गये। किसी ने लिखा है..<br /><br />लाश थी इसलिए तैरती रह गई<br />डूबने के लिए जिंदगी चाहिए।<br /><br />...सुंदर दर्शन।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-36349810797911533732012-01-24T18:32:20.868+05:302012-01-24T18:32:20.868+05:30और प्रश्न अनुत्तरितऔर प्रश्न अनुत्तरितरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-69819033243614969052012-01-24T15:51:45.814+05:302012-01-24T15:51:45.814+05:30आपके इस उत्कृष्ट लेखन के लिए आभार ।आपके इस उत्कृष्ट लेखन के लिए आभार ।सूत्रधारhttps://www.blogger.com/profile/05176837533222732473noreply@blogger.com