tag:blogger.com,1999:blog-75284780009883712782024-03-04T05:55:58.858+05:30रेत के महलShilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comBlogger197125tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-58865736349219469912023-02-28T17:22:00.007+05:302023-02-28T17:22:56.168+05:30Measuring Astronomical distances in Spaceक्या आप जानते हैं कि
दूरी कैसे मापी जाती है? बिल्कुल!!! हम सब
जानते हैं, है ना?मान लीजिए कि मैं एक
नोटबुक को मापना चाहती हूं, मैं एक
पैमाना/रूलर लूंगी, एक किनारे पर
शून्य का निशान रखूंगी, और विपरीत किनारे पर रीडिंग की जांच करूंगी। यदि नापी जाने वाली वस्तु बड़ी है
(मान लीजिए एक मेज), तो हम मापक के
स्थान पर मापन फीते का उपयोग करते हैं। इससे भी लंबी दूरी का आकार हो तो? जैसे एक कमरे की
लंबाई? कुछ भी Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-38607602279859591482021-01-09T15:42:00.003+05:302021-01-09T15:42:19.916+05:30Upanishad5 उपनिषद सन्देश 5एक बार बहुत पहले द्वैत और अद्वैत पर कुछ लिखा था। उसी श्रंखला में आगे .... हिन्दू चिंतकों के बहुत से पथ रहे हैं, ईश्वरवादी, अनीश्वरवादी, मूर्तिपूजक ,और भी अनेक राहें उपलब्ध हैं। दो विचारप्रवाह हैं, दो धाराएं बहती हैं। द्वैत को मानने वाले कहते हैं - मैं जीव तुम ईश्वर। सदा ही पृथक, मैं पूजक तुम पूज्य, मैं पथिक तुम ध्येय, आदि। लेकिन अद्वैत वादी कहते हैं, Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-84568592922002032202020-04-16T16:37:00.001+05:302022-11-03T15:03:50.427+05:30मार्च २०११ में आये जापान का भूकंप - न्यूक्लियर मेल्ट डाउन - क्या और कैसे
मार्च २०११ में आये जापानी भूकंप के समय वहां के फुकुशिमा न्यूक्लियर पावर प्लांट में कुछ हिस्सों में धमाके हो रहे थे और यह आशंका थी की कही न्यूक्लियर मेल्ट डाउन न हो जाए , कहीं चर्नोबिल जैसी त्रासदी न देखने में आये । यह होता क्या है ? इस पोस्ट में समझने का प्रयास करते हैं ।
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बिजली बनाने की प्रक्रिया वही होती है जो आमतौर पर बाज़ार Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-29132050235446232862020-02-29T15:59:00.000+05:302020-02-29T15:59:34.807+05:30Bayes Theorem and its actual effect on our lives
मित्रों
आज बेज़ थियरम पर बात करुँगी। बहुत ही महत्वपूर्ण बात है - गणित के शब्द से परेशान न हों - पूरा पढ़े, गुनें, और समझें। हम सभी ने बचपन में प्रोबेबिलिटी थियरी पढ़ी है - जिसमे एक विषय था - बेज़ थियरम। हम सब ने पढ़ा भी, उस पर प्रश्न भी हल किये , उस पर पूर्ण अंक भी पाए, लेकिन क्या हम इसे समझते हैं ? इसका हमारे जीवन के संदर्भ में कोई अर्थ है या नहीं?
बहुत गहराShilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-25537452468453801792018-12-13T22:27:00.001+05:302018-12-13T22:27:04.789+05:30Upanisha4 Katha Upanishad उपनिषद सन्देश 4
कठ उपनिषद, हिन्दू धर्म के प्रमुख ११ उपनिषद् संदेशों में एक है। बालक नचिकेता ने यमराज से जो शिक्षा पायी उस ज्ञान की यह कथा है।
उद्दालक जी ने महान यज्ञ किया, जिसमे अपना सब कुछ दान करना होता है। किन्तु वे मोहवश प्रिय दुधारू गायें न दान कर, बूढी जर्जर गायों का दान कर रहे थे। यह देख नचिकेता को लगा की यह पिताजी को पुण्य नहीं, बल्कि पाप दिशा में भेज रहा है।Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-32456093422107270432018-04-29T09:00:00.001+05:302018-04-29T09:00:17.825+05:30Planet corot7b Stone rain here
Corot 7 b नामक ग्रह पर बरसात हम जैसी नहीं होती। यहां बरसते हैं पत्थर।
विश्वास नहीं होता ? आइए सुनिए यह कैसे होता है ।
इस ग्रह पर एक तरफ करीब 3000 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान है। इस तापमान से पत्थर पिघल कर और सूख कर भाप बन जाते हैं , और आसमान में उड़ जाते हैं । जब यह पत्थरों की वाष्प ग्रह के दूसरी तरफ पहुंचती है , तो वहां का तापमान Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-36475538096030519032018-04-13T21:46:00.002+05:302022-11-03T15:04:45.167+05:30time dilation and length contraction part 2 समय का फैलाव एवं लम्बाई में सिकुड़न भाग दो
भाग एक (समय कैसे धीमा हो जाता है?) पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
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time dilation at light velocity part 2 समय का फैलाव एवं लम्बाई में कमी भाग दो
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इस भाग में हम length contraction या प्रकाश वेग से गतिमान वस्तु की लम्बाई में आई कमी पर बात करेंगे
यदि आपने पिछले भाग नहीं पढ़ा है तो ऊपर लिंक क्लिक कर के उसे पढ़ आइये - तब यह भाग आसानी से समझ Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-78602591827916701302018-03-30T16:53:00.002+05:302022-11-03T15:04:40.829+05:30time dilation 1 समय का फैलाव भाग एक
क्या होता है समय का फैलाव ? न्यूटन और आईन्स्टीन के सिद्धांतों का आपसी प्रत्यक्ष विरोधाभास - कैसे और क्या और क्यों?
स्पीड या गति क्या है ? आप यदि कुर्सी पर बैठे यह ब्लॉग पढ़ रहे हैं तो आप स्थिर हैं या गतिमान ? यह इस पर निर्भर है कि आप किस reference या संदर्भ में अपने बारे में कह रहे हैं। यदि आप अपने घर के बिस्तर पर बैठे हैं तो शायद आप कहें की आप स्थिर हैं और यदि आप कार की कुर्सी पर बैठे हैंShilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-74707824619416957532017-07-01T19:32:00.000+05:302017-07-01T19:32:31.520+05:30sum to infinity
NOTE : THIS POST IS JUST A JOKE _ DO NOT TAKE IT SERIOUSLY
नोट : यह पोस्ट हंसी मजाक के लिए है - इसे गंभीरता से न लिया जाए
क्या आप जानते हैं कि
1+2+3+4+5+6+..... कितना होगा ? असंख्य ? अरिथमैटिक प्रोग्रेशन से तो असंख्य ही लगता है।
नही
यह होगा = - (१/१२ )
क्या कह रहे हैं ? यह हो नहीं सकता ? तो यह लीजिये प्रूफ
मान लीजिये
SUM1 = १ - १ + १ - १ +Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-67138238898934688262017-06-26T19:28:00.001+05:302017-06-26T19:28:53.831+05:30Castes society mistakes
युद्ध नही चाहना कोई बहुत पॉजिटिव बात नही होती है जैसा आजकल माने जाने का प्रचलन है। आज की शिक्षा व्यवस्था हमें अप्राकृतिक रूप से अहिंसावादी आदि बनाने पर तुली है। जो जो भी समाज किसी भी गुण को अवगुण ठहराते हैं (और उसे नीच दर्शाते हैं दूसरे गुणों के समक्ष) वे समाज नष्ट होते हैं। इतिहास गवाह है।
ब्राह्मण गुण ज्ञान और सात्विकता की रक्षा है, तो क्षत्रिय गुण है व्यर्थ की अहिंसा न रटते हुए Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-21435105204158715152017-04-04T01:00:00.003+05:302022-11-03T15:04:53.052+05:30न्यूरल नेटवर्क के सीखने की प्रक्रियाएं -4
पुराने भाग 1, 2, 3
यह श्रंखला artificial intelligence या neural networks से सम्बंधित है । कमोबेश यह उसी प्रकार होता है, जैसे प्राणियों में सीखना होता है ।
इससे पहले के भागों में हमने देखा कि पूर्वाग्रह क्या होता है, पहचान और निर्णय कैसे होते हैं, और "सीखना" कैसे होता है । इस भाग में हम -
1. सीखने के प्रकार (learning paradigms ) पर बात करते हैं , और
2. सीखने की विधियों&Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com15tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-50554521892501397842017-04-04T01:00:00.002+05:302022-11-03T15:04:55.952+05:30पूर्वाग्रह ३ : सीखना
इस शृंखला के पुराने भाग देखें :-
१ ( पूर्वाग्रह क्या होता है ? ),
२ ( पहचान और निर्णय )
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पिछले दो भागों में हमने पढ़ा कि:
भाग १ - पूर्वाग्रह का अर्थ है किसी वस्तु / व्यक्ति को देखने या जानने से पूर्व ही उसके बारे में एक धारणा बना लेना । यह Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com16tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-19406495512964140282017-04-04T01:00:00.001+05:302022-11-03T15:04:58.938+05:30पूर्वाग्रह २ : पहचान और निर्णय
पूर्वाग्रह भाग १ देखें
पिछले भाग में मैंने (लेख और टिप्पणियों के discussion में) कहने की कोशिश की - कि
१. शब्द जो छवि बनाते हैं हमारे मन मस्तिष्क में - उसमे से कुछ भाषाज्ञान है, और कुछ पूर्वाग्रह |
२, आम - फल है | किन्तु - कैसा है ? यह हर वह व्यक्ति बता सकता है - जिसने आम खाया है (समझाना तो मेरे बस का नहीं है) यह भाषाज्ञान है |
३. मैंने यह भी कहा Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com17tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-49239003218251053062017-04-04T01:00:00.000+05:302022-11-03T15:05:02.808+05:30पूर्वाग्रह 1 - पूर्वाग्रह क्या होता है ?
यह श्रंखला आगे बढाने का सोच रही हूँ ( आशा है इस बार अधूरी न छोड़ दूँगी ) तो पुराने (पहले) भाग को आज repost कर रही हूँ :
पूर्वाग्रह ?
इस शब्द को सुन कर पहले पहल क्या भाव आता है मन में ?
यह जो भी भावना आपके मन में आई , इस शब्द से जो भी अच्छी या बुरी छवि मन में उभरी - वह आपके मन का पूर्वाग्रह है - इस शब्द की परिभाषा को लेकर | यदि आपके मन में यह आया कि "पूर्वाग्रह का Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-59247730166874991092016-08-08T10:26:00.002+05:302022-11-03T15:05:19.089+05:30basicelectronics3 PNJunction Diode
भाग १ , २
पहले भाग में हमने देखा कि कैसे पदार्थ तीन तरह के होते हैं - कंडक्टर (संवाहक conductor ), इंसुलेटर (विसंवाहक insulator ), एवं सेमि कंडक्टर (अर्ध संवाहक semiconductor ) जो साधारण परिस्थिति में तो इंसुलेटर हैं लेकिन विशेष स्थितियों में बिलकुल कंडक्टर की तरह बर्ताव करते हैं। परिशुद्ध या इंट्रिन्सिक सेमीकन्डक्टर की shilpamehtahttp://www.blogger.com/profile/15688059224814430879noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-80702559712687966372016-06-21T10:32:00.004+05:302022-11-03T15:05:07.300+05:30basic electronics part 2
Extrinsic Semiconductors Basic Electronics 2 मूलभूत इलेक्ट्रॉनिकी भाग २
भाग १
मेरा आग्रह है कि इस श्रृंखला की कोई पोस्ट सीधे न पढ़ी जाए। पहले भाग से शुरुआत समझने के लिए आवश्यक है ( - हाँ यदि आप पहले से ही इस विषय को जानते हैं तो बात और है )
पिछले भाग में हमने परमाणु की संरचना , ( ग्रुप ४) के पदार्थों में पाये जाने वाले कोवलेंट बांड्स ,और&Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-54221891534343028202016-06-01T13:52:00.002+05:302022-11-03T15:05:09.778+05:30basic electronics1 मूलभूत इलेकट्रोनिकि भाग १
मैं एक इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर हूँ। हमेशा से महसूस करती आई हूँ कि काश हिंदी में पुस्तकें यह जानकारी देती होतीं , तो कितने ही और बच्चे लाभ ले पाते। सो अपनी एक छोटी सी शुरुआत कर रही हूँ। मुझे लगता है कि पहली २-३ पोस्ट्स में जो है वह सब पाठक भौतिकी या रासायनिकी विषयों में पहले पढ़ ही चुके होंगे। किन्तु आगे बढ़ने से पहले नींव आवश्यक है इसलिए शुरुआत यहीं से shilpamehtahttp://www.blogger.com/profile/15688059224814430879noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-57954323933331262932016-05-08T11:04:00.002+05:302016-05-08T11:04:47.858+05:30just like that..
.... She began climbing, making messy stumbling footprints, so unlike the neat double row of camel foot prints she had once seen disappearing over the sand dune.
At last she reached the top, and stood panting for a moment, wiping her brow with the back of her hand, revelling in the silence- in a space - in the suddenly subdued magnificence of this powerful, yet visually barren land. Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-30649319074804134842015-11-29T19:12:00.000+05:302015-11-29T19:16:58.468+05:30 शिवपुराण २१ : नंदिकेश्वर और अत्रीश्वर
हमने पहले ज्योतिर्लिंगों के विषय में पढ़ा। इनके अतिरिक्त भी शिव आराधना में बहुत से तीर्थ सुविख्यात हैं। आज हम नंदिकेश्वर और अत्रीश्वर तीर्थ स्थलों पर चर्चा करते हैं।
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नंदिकेश्वर :
कर्णकी नामक शहर में एक ब्राह्मण रहते थे । वह अपने दो पुत्रों को अपनी पत्नी को सौंप कर वाराणसी की यात्रा को गए और वहां से उनकी मृत्यु की ही खबर आई। ब्राह्मणी ने बड़े यत्न से पुत्रोंShilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-31311470506283612562015-07-30T12:04:00.001+05:302015-07-30T12:04:45.249+05:30शिवपुराण २० : गणेश shivapurana20 ganesh
कैलाश पर्वत पर पार्वती माता के कक्ष के द्वार की रक्षा भी शिवजी के ही गण करते थे। लेकिन शिव जी किसी भी समय आएं उनके गण उन्हें भीतर जाने से न रोकते थे और इस कारण पार्वती जी असहज महसूस करती थीं। उनकी सहेलियों को भी यह अच्छा न लगता था और वे माता को समझातीं कि उनकी द्वारसेवा को उनका अपना गण होना चाहिए। तब एक दिन माँ ने मिटटी से (कहीं कहा गया है कि अपनी उबटन से) एक सुंदर बालक की मूरत गढ़ी और उसमेंShilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-59482166511784950152015-07-28T22:34:00.002+05:302015-07-28T22:38:26.964+05:30शिवपुराण १९ : कार्तिकेय और ताड़कासुर
शिव जी और पार्वती जी के विवाह (लिंक) के उपरांत नवदम्पत्ति लम्बे समय तक हिमवान जी के ही घर में रहे। फिर एक दिन शिव जी ने हिमालय जी और मैना जी से आज्ञा ली और अपनी संगिनी श्री पार्वती जी सहित कैलाश पर लौट आये। दोनों लम्बे समय तक बहुत सुखपूर्वक दाम्पत्य जीवन का आनंद लेते हुए कैलाश पर निवास करते रहे। इधर तारकासुर के संहारक के आने के लिए देवगण व्याकुलता से प्रतीक्षा करते थे। उन्होंने ब्रह्मा जी से Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-54456385717701159692015-07-22T13:18:00.000+05:302015-07-22T13:28:23.019+05:30शिव पुराण १८ : केतकी और चम्पक के फूल
केतकी और चम्पक के फूल शिव जी को नहीं चढ़ाये जाते। इस भाग में इन फूलों से ही सम्बंधित तीन कथाएं पढ़ते हैं।१: ब्रह्मा, विष्णु, शिवलिंग और केतकी२. सीता और केतकी३. नारद, ब्राह्मण और चम्पक--------------------------------- १: ब्रह्मा विष्णु शिवलिंग और केतकी(brahmaa vishnu altercation and shivalinga and the ketaki flower )पहली कथा है कि प्रलय के बाद जब सृष्टि नहीं हुई थी तब एक बार विष्णु जी और ब्रह्मा Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-78474133139474124562015-07-04T22:56:00.001+05:302015-07-05T15:04:43.926+05:30upsc परीक्षा में लड़कियों ने बाजी मारी। क्यों?
यह पोस्ट पूरीपढ़े बिना ओपिनियन न बनाइये कि मैं क्या कह रही हूँ।
सब जगह पढ़ रही हूँ आईएस में टॉप 4 लड़कियाँ/ पहले भी ऐसा पढ़ती सुनती रही कि यहाँ लड़कियां वहां लड़कियाँ।ऐसे कवरेज है जैसे कोई जश्न की बात हो। लेकिन मुझे यह कुछ ठीक नही लगता।क्यों?
क्योंकि यदि यह कोई गर्व की बात नहीं कि माँ हमेशा इस बात पर खुश हो कि बेटे ने बेटी को मात दे दी ; तो उसी तरह हर बार इस पर खुश होना भी गलत है कि बेटीShilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-67987123135682658042015-06-26T11:24:00.001+05:302015-06-30T08:51:26.395+05:30शिव पुराण १७ : / घुुष्णेश्वर /घृष्णेश्वर / घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंगम्
इस ज्योतिर्लिंग की भौगोलिक स्थिति के बारे में भी अलग अलग मत हैं . कोई इन्हें महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास बताते हैं तो कोई कहते हैं कि श्री घुश्मेश्वर राजस्थान के शिवालय (शिवाड ) ग्राम में विराजमान है . यह ज्योतिर्लिंग स्वयम्भू है अर्थात यह किसी के द्वारा निर्मित नहीं किया गया , अपितु स्वयं उत्पन्न है .
कथाएँ कहती हैं कि दक्षिण भारत में देवगिरी नामक पर्वत पर एक ब्राह्मण "Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7528478000988371278.post-36287916695361406712015-06-25T10:26:00.002+05:302015-06-25T10:27:06.323+05:30शिवपुराण १६: रामेश्वरम रामेश्वर रमेस्वरम राम्मिसेरम ज्योतिर्लिंग
रामेश्वरम नामक शहर/ क़स्बा तमिल नाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। यह पम्बन या रामेश्वरम नामक द्वीप है जो भारतीय उप महाद्वीप से विलग है और श्री लंका के मनणार द्वीप से ५० किमी की दूरी पर है। पम्बन या रामेश्वरम द्वीप भारत की मुख्य भूमि से पम्बन सेतु द्वारा जुड़ा हुआ है।
कथा है कि यह वही जगह है जहां से श्री राम ने अपनी प्रिया सीता जी को रावण से छुड़ाने के लिए सेतु बनाया था। Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttp://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.com1