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मंगलवार, 1 जुलाई 2025

तत्वयोद्धा – भाग 002 - वायुध

तत्वयोद्धा: गुरुकुल में वायुध और मित्र 

 


✍️ मायालेखा की लेखनी से बुनी गई एक कथा
(शिल्पा मेहता की रचना)

सभी अधिकार सुरक्षित, कॉपीराइटेड, copyrighted


"वायुध! क्या हुआ है? तुमसे इतना आसान सा प्रकटन नहीं होता? स्नेहित आचार्य ने कितनी बार कक्षा में सिखाया है? अब तो सब कर लेते हैं, तुमसे क्यों नहीं हो पाता?"

"गधा है वह, उससे कुछ नहीं होता" पिछली मासिक परीक्षा में यह अनुत्तीर्ण हुआ था।"

"अब तो हमसे छोटी कक्षा के बच्चे भी कर लेंगे।"

"इसकी तो एकाग्रता भी नहीं है, कैसे करेगा? इस ने आज फिर पानी लाते हुए घड़ा आधा छलका दिया था। एकाग्रता के अभ्यास में बाकी सभी अब कम से कम तीन घड़े एक साथ सम्हाल लेते हैं, वायुध से तो यहां तक डेढ़ ही घड़ा पानी पहुँच पाता है।" 

"सब नहीं - याद है कुकुरेश और संकल्प का तीसरा घड़ा आधा रहता है। वरिषि चार ले आती है, कीटेश छह। और वह प्रबोध और अग्निक तो आठ ले आते हैं।" 

             


"बंद करो तुम सब यह आलोचना, वायुध पूरी मेहनत कर रहा है, वह तो कर लेगा, तुम अपने अभ्यास पर ध्यान दो न! और हाँ अग्निक आठ नहीं नौ घड़े लाता है अब, और एक हफ्ते में उसके दस पूरे हो जाएंगे और वह इस पाठ में प्रथम है ही।" यह वरिषि थी। "क्या तुम जानते हो कि वायुध नदी पर चलने लगा है? तुम तो एक पल भर से ज्यादा नदी पर खड़े भी नहीं हो पाते, झट से पानी में डूब जाते हो, तो उसकी आलोचना के बजाए अपने अभ्यास पर ध्यान दो...... "

स्नेहित आचार्य दूर खड़े थे लेकिन सब सुन सकते थे। बच्चों को लगता था वे दूर हैं हमारी बातें नहीं सुन सकते लेकिन स्नेहित आचार्य ने अपनी चक्रशक्ति कक्षा के समय अपने कानों में केंद्रित रखते थे. बच्चों के यथोचित प्रशिक्षण के लिए आवश्यक था कि आचार्य को उनकी हर बातचीत पता रहे जिससे वे उनकी हर प्रतिभा को बढ़ा सकें और हर कमजोरी को समझ कर सुधार सकें। वे वायुध के दर्द को समझ सकते थे, क्योंकि वे खुद भी अपने माता पिता को बचपन में ही खो चुके थे, तो वे जानते थे की वायुध का जीवन कितना कठिन है। लेकिन वायुध बहुत शरारती था और सारी मासिक परीक्षाओं में असफल होता आ रहा था। वार्षिक परीक्षा पास आ रही थी और इस तरह चलता रहा तो कक्षा से पीछे रह जाएगा। 'उसे अकेले में फिर से सिखाना होगा' उन्होंने तय किया। 'कक्षा के दूसरे भाग को पढ़ाने वाले आचार्य कह रहे थे की उस अनुभाग के बच्चे वार्षिक परीक्षा के लिए करीब-करीब तैयार ही हैं। इस कक्षा में सिर्फ वायुध, कुकुरेश और संकल्प पर अधिक ध्यान देना होगा, बाकी बच्चे तो ठीक ही कर पा रहे हैं।'


"वायुध, तुम कक्षा समाप्त होने के बाद रुको, मैं तुम्हे अभ्यास करवाऊंगा।' आचार्य ने कहा।



कक्षा के बाद स्नेहित आचार्य ने वायुध को प्रकटन का खूब अभ्यास कराया और रात होने तक वे दोनों पूरी तरह थक चुके थे। लेकिन वायुध अब अपना कोशीय प्रकटन कर पा रहा था। आचार्य के सामने दो हूबहू एक सामान वायुध तो नहीं थे लेकिन एक कमजोर प्रकटन अवश्य था। "कल फिर अभ्यास करना होगा, लेकिन शुरुआत हो चुकी है।" स्नेहित आचार्य ने कहा "तुमने खूब मेहनत की है, चलो आज मैं गुरुकुल के भोजन से अलग तुम्हें बाहर ले जाकर गाँव में बढ़िया पकवान खिलाता हूँ" वायुध मुस्करा रहा था। स्नेहित आचार्य हमेशा उसे प्यार से अलग से सिखाते थे। एक दिन मैं इन्हें अपने ऊपर गर्व करने का मौक़ा दूंगा, एक दिन मैं सर्वोच्च बनूँगा। उसके मन में लड्डू फूट रहे थे आज आखिर उसने पहला प्रकटन कर लिया था, जो बहुत अच्छा तो नहीं था, लेकिन एक अच्छी शुरुआत थी।

इधर दो-तीन दिन से अग्निक के चचेरे बड़े भाई सम्मोहक ने उसे कहा था की वह भी उसकी मदद करेंगे, आज शाम को उन्होंने बगीचे में मिलने बुलाया है। पता नहीं ऐसी क्या बात हैं की सम्मोहक दादा मुझे गुरुकुल के बाहर बुलाया? अग्निक से तो उन्होंने कुछ नहीं कहा, वैसे भी अग्निक उनसे चिढ़ता है किसी कारण। लेकिन क्यों? वे तो पिछले दस सालों के सर्वश्रेष्ठ शिष्य रहे हैं! सम्मोहक दादा को मुझसे क्या काम हो सकता है? वायुध सोच रहा था।

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अगले भाग में :
सम्मोहक का खेल 
वायुध का कोशीय प्रकटन पर निपुणता हासिल करना 

तत्वयोद्धा - भाग 001 - परिचय

तत्वयोद्धा: एक नई कथा का आरंभ - परिचय

✍️ मायालेखा की लेखनी से बुनी गई एक कथा
(शिल्पा मेहता की रचना)

सभी अधिकार सुरक्षित, कॉपीराइटेड, copyrighted
(इस शृंखला का टाइटल और सभी नाम और पात्र कॉपीराइट किये जा रहे हैं)


🧭 तत्वों की ओर पहला क़दम

कभी सोचा है कि शरीर के भीतर छिपे चक्र और पंच तत्त्व की असली शक्ति क्या कर सकती है? यदि योग, ध्यान और आत्म साधना से कोई व्यक्ति, केवल शारीरिक नहीं, बल्कि तत्त्व स्तर पर एक योद्धा बन जाए तो?

हम सभी ने महाभारत और रामायण की कहानियाँ सुनी हैं — जहाँ युद्ध अस्त्र-शस्त्रों से होते थे। लेकिन यदि हम पुराणों में गहराई से झाँकें, तो पाएंगे ऐसे अनेक पात्र, जो केवल इच्छा से बहुत कुछ रच सकते थे, या विनष्ट कर सकते थे। जैसे कर्दम ऋषि और देवहूति माता की कथा में हुआ, जैसे विश्वामित्र जी ने त्रिशंकु जी के लिए एक नया स्वर्ग लोक रचा, जैसे ऋषि वशिष्ठ जी ने अपनी गाय की रक्षा हेतु एक संपूर्ण सेना उत्पन्न कर दी।

तत्वयोद्धा इसी तरह की एक अद्भुत शक्ति-यात्रा की कल्पनाशील प्रस्तुति है

तत्वयोद्धा एक कल्पना आधारित धारावाहिक कथा है, जहाँ तत्त्वों पर नियंत्रण और आंतरिक साधना मानव को योद्धा नहीं, तत्वयोद्धा बनाती है। तत्त्व योद्धा धारावाहिक मेँ हम मुख्यतः तत्वों पर नियंत्रण से चमत्कारिक युद्ध शक्तियों पर केंद्रित रहेंगे, लेकिन यह इस तक ही सीमित नहीं है। यह मित्रता, अकेलेपन, गुरु-शिष्य संबंध, आत्म-विकास और आत्म-संघर्ष की भी यात्रा है। यहाँ गुरुकुलों की प्राचीन परंपरा में बालक-बालिकाएं अपने गुरुओं के मार्ग दर्शन मेँ तत्त्व साधना, हस्तमुद्राएं, और योग द्वारा अपनी अंतर्निहित शक्ति को जगाते हैं। यह कहानी गुरुकुल परंपरा के रचे बसे गांवों की है, जहाँ बच्चों को तत्त्वों की साधना सिखाई जाती है। कड़े परिश्रम के साथ बच्चे अपने भीतर की शक्तियों को जागृत करते हुए बड़े होते हैं, समाज और देश की सेवा करते हैं, शुभ परिणामों के लिए प्रयास करते हैं। शिष्य गुरुओं के मार्गदर्शन मेँ, अकेले, और दल के साथ उद्देश्य पूर्ति के लिए अथक मेहनत करते हैं और अलग-अलग परिस्थितियों और शत्रुओं का सामना करते हैं। जहाँ प्राचीन ज्ञान से सुप्त शक्तियाँ जगाई जाती हैं, नई शक्तियां अर्जित की जाती हैं। और उनका उपयोग अनेक प्रकार से होता है। इस कहानी मेँ अनेक युद्ध हैं लेकिन यह कहानी सिर्फ युद्ध तक सीमित नहीं।

योद्धा का मार्ग धर्म का मार्ग है, लेकिन मानवी भूलें भी हैं, मानवी भावनाएं भी। किसी एक का मार्ग, सिर्फ उसका नहीं रहेगा। समय के साथ बच्चे बड़े होंगे, समझदार होंगे और मंजिलें पार करते जाएंगे। रास्ते मेँ संगियों का साथ भी होगा और संगी छूटेंगे भी। हंसी भी होगी और आँसू भी। शत्रु जीते भी जाएंगे, और कभी कभी जीतेंगे भी। हमारे वीर वीरगति भी पाएंगे राह मेँ। कुछ "शत्रुओं" का हृदय परिवर्तन भी कर सकेगा हमारा नायक।

तो अब कहानी की तरफ बढ़ते हैं। 

🌿 क्या है "तत्वयोद्धा" शृंखला?

⏳ यह किसी एक पात्र की कथा नहीं। यहाँ कोई पूर्ण नायक या नायिका नहीं है, और कोई पूर्ण खलनायक या खल-नायिका भी नहीं। अधिकांश पात्र प्रकाश और छाया, दोनों का दर्पण है।

🔮 आप क्या पाएंगे इस श्रृंखला में?

  • भावनाएँ: आत्मविकास, बिछोह, गुरुकुलीय संबंध
  • गहराई: पंचतत्त्व और चक्रों की कल्पनाशील व्याख्या
  • रहस्य: हर बालक और बालिका के भीतर सोई कोई शक्ति
  • प्रेरणा: योग और साधना से शक्ति की खोज

🔥 यह श्रृंखला किसके लिए है?

उन पाठकों के लिए जो हिन्दी में कुछ नया, आत्मिक और रोमांचक पढ़ना चाहते हैं।

🔔तो अब तैयार हो जाइए…

एक ऐसे लोक में प्रवेश के लिए जहाँ नायक अकेला नहीं होगा। जहाँ हर पात्र तत्त्वों के विराट यंत्र का यंत्र चालक बन सकता है। 

तो आगे बढ़ते हैं, अगले भाग से कहानी शुरू होगी, "तत्व योद्धाओं" की। अगले भाग में मिलते हैं