आज एक मजेदार कहानी शेयर कर रही हूँ रोबोटिक जनरेशन्स के बारे में। असल में यह पोस्ट बहुत दिनों से मेरे मन में थी। फेसबुक पर एक दिन आशीष श्रीवास्तव जी ने यह पूछा था की क्या मशीनें "सेल्फ अवेयर" हो सकते हैं। तब से यह पोस्ट मेरे मन में थी।
एक बड़ी मजेदार कहानी है - लेकिन यह कहानी नहीं सच है :) रोबोट्स को सोचने समझने लायक बनाने के लिए बढे क़दमों में से तीन कदम आपके साथ आज शेयर करती हूँ :)
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मिस्टर एक्स नामक रोबोट जी को लोगों से बातचीत करना और सोचना सिखाया गया । उन्हें हर सोच के बाद कार्य करने से पहले "दो रूल" सिखाये गए (ये दोनों रूल हर रोबोट कि रीड ओनली मेमोरी में होते हैं - जिन्हे हटाया या बदला नहीं जा सकता - आपको याद होगा की रोबोट पिक्चर में रजनीकांत के रोबोट कि मेमोरी चिप ही बदल दी गयी थी )
१. किसी इंसान को नुक्सान न पहुंचाओ (चाहे ऐसा हुक्म भी दिया जाए) ;
यदि हो रहा हो तो मनुष्य को हो रहे नुक्सान को रोको
(- यदि यह दुसरे इंस्ट्रक्शन के विरुद्ध न हो रहा हो तो ही )
२. अपने आप को नुक्सान न पहुंचाओ और अपने आप को हो रहे नुक्सान को रोको
(- जब तक यह रूल एक के विरुद्ध न हो रहा हो। )
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तो अब आगे कि कहानी।
मिस्टर एक्स को बताया गया कि जिस कमरे में उनकी बैटरी (रोबोट का जीवन बैटरी से ही है , बैटरी ख़त्म तो जीवन ख़त्म) रखी है उस कमरे में एक बम है। रोबोट के सोचने की प्रक्रिया (ब्रेन) ने analysis किया तो पाया कि यदि बैटरी को बचाया न जाए तो मेरी ज़िन्दगी ख़त्म। तो उसने निष्कर्ष निकाला कि कमरे से बम को बाहर निकालना आवश्यक है। तो एक्स कमरे में गया, वहाँ उसने बम को वहाँ रखी एक ट्रॉली पर रखा और ट्रॉली को बाहर खींच लाया और दूर हट गया।
क्या समस्या सुलझा पाया रोबोट ?
:(
नहीं
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क्योंकि जिस ट्रॉली पर वह उस बम को लाड कर बाहर खींच लाया वह ट्रॉली वह थी जिस पर बैटरी रखी थी। बेचारा मिस्टर एक्स :(
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अगले जनरेशन के रोबोट की कहानी अब
मिस्टर वाय नामक रोबोट को अपनी की हुई गतिविधियों का कमरे के सामान पर होने वाले असर को भी analyse करना सिखाया गया और फिर उसे भी वही समस्या दी गयी।
इन्होने भी यही निर्णय निकाला कि बैटरी कमरे से निकाली जानी चाहिए। फिर उसने analyse किया कि इस से कमरे पर क्या असर होगा। तो उसने पाया की इससे कमरे की दीवारों , फर्श खिड़कियों आदि पर कुछ भी फर्क नहीं पड़ेगा। हाँ कमरे की स्पेस कुछ बढ़ अवश्य जायेगी और कार्पेट एरिया का खुलापन ट्रॉली जितना बढ़ जाएगा। इससे न रूल एक न रूल दो टूटेगा।
तो मिस्टर वाय ने भी बम को ट्रॉली पर रखा और कमरे से बाहर ले आये :( अंजाम वही हुआ जो एक्स का हुआ था।
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अब जेड नामक रोबोट को यह सब सिखाया गया कि जो पहले वाले दोनों को सिखाया गया था। इसके अलावा एक और रूल दिया गया
"ignore inconsequential details about the room "
और फिर जेड जी को भी यही समस्या दी गयी।
कुछ समय गुज़र जाने के बाद बम फूटने का समय पास आने लगा और जेड ने कुछ किया ही नहीं। वैज्ञानिक रचयिता चिंतित होने लगे . उन्होंने रोबोट जेड को query भेजी कि क्या हुआ - तुम्हारी बैटरी के कमरे में बम है - तुम्हे यह पता है - तुम कुछ करते क्यों नहीं ??????
उत्तर आया :
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कर रहा हूँ न - मैं कमरे के बारे में हज़ारों inconsequential details को इग्नोर करने में बिज़ी हूँ - जिनमे यह भी एक डिटेल है की एक कमरे में एक बम रखा है - क्योंकि इससे रूल एक दो या तीन किसी के अंतर्गत कोई परेशानी नहीं .......
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:) :) :)
फिर मिलेंगे :)