पुनः प्रस्तुति
हे सूर्यदेव - तुम्हे शत शत नमन |
तुम्हारे शुभागम को नमन
- तुम्हारे विगम को नमन |
उषा की पूर्वी ललाई को ,
तुम्हारे नटखट बचपन को नमन
आसमानों की हथेलियों पर सजते
गृह नक्षत्रों की ओट से फूट उठती
किसी धनुर्धर के धनु से उछालें लेती
शक्तियों की त्वरित तरंगन को नमन
कभी धीर गंभीर शांत - तो कभी ....
छितरी बदरी से अठखेली करती
लश्कारे भरी नटखट किरण को नमन
रंग की अनदेखी फहराती चुनरी की ---
अन्तरिक्षी चमन में
अनंत उड़न को नमन ......
गुलाबी पंखडियों पर सोती ओंस की बूंदों से
घुप्प अन्धकार की चादर को चीरती
तुम्हारी विहंगम भोर की उठन को नमन .........
हे सूर्यदेव - तुम्हे शत शत नमन |
तुम्हारे शुभागम को नमन
- तुम्हारे विगम को नमन |
उषा की पूर्वी ललाई को ,
सांझ की गरिमामई ढलन को नमन
आसमानों की हथेलियों पर सजते
गृह नक्षत्रों की ओट से फूट उठती
तुम्हारी उर्मियों की तपन को नमन
किसी धनुर्धर के धनु से उछालें लेती
शक्तियों की त्वरित तरंगन को नमन
कभी धीर गंभीर शांत - तो कभी ....
छितरी बदरी से अठखेली करती
लश्कारे भरी नटखट किरण को नमन
रंग की अनदेखी फहराती चुनरी की ---
अन्तरिक्षी चमन में
अनंत उड़न को नमन ......
गुलाबी पंखडियों पर सोती ओंस की बूंदों से
स्फटिक किरणों की इन्द्रधनुषी बिखरन को नमन
घुप्प अन्धकार की चादर को चीरती
तुम्हारी विहंगम भोर की उठन को नमन .........
हे सूर्यदेव, तुम्हे शत शत नमन, नमन, नमन, नमन....
ॐ मित्राय नमः, ॐ रवये नमः, ॐ सूर्याय नमः, ...
जवाब देंहटाएंमोह्क तस्वीरें, पवित्र भाव लिये पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर तस्वीरों के साथ सूर्य आराधना में खो ही गये हम तो !
जवाब देंहटाएंघुप्प अन्धकार की चादर को चीरती
जवाब देंहटाएंतुम्हारी विहंगम भोर की उठन को नमन .........
हे सूर्यदेव, तुम्हे शत शत नमन, नमन, नमन, नमन....
ऊऊऊऊऊऊओम
सूर्य आराधना में पवित्र भाव लिये पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंचित्रमय सार्थक आराधना, आपके भावों का अभिनन्दन!!
जवाब देंहटाएंसाक्षात देव सूर्य की अनुपम काव्योपासना! शक्ति के इस अजस्र स्रोत को नमन ..हमारे होने के हेतु को नमन!
जवाब देंहटाएंकविता ही नहीं यह रश्मि पुंज के अलौकिक अनुष्ठान का आह्वान है !आभार! शिल्पा जी!
सूर्य की अलौकिक आराधना.....ब्रह्मांडीय परिवार के साथ विज्ञानमय चिंतन के साथ सूर्य के दर्शन..सूर्य की विभिन्न लीलाओं के दर्शन......ब्रह्मांड की तुलना में अपनी क्षुद्रता के दर्शन .....पदार्थ के दर्शन ...ऊर्जा के दर्शन ......दर्शनमय......आनंदमय। सत्यम! शिवम!!सुन्दरम!!!
जवाब देंहटाएंसूर्य की अलौकिक आराधना.....ब्रह्मांडीय परिवार के साथ विज्ञानमय चिंतन के साथ सूर्य के दर्शन..सूर्य की विभिन्न लीलाओं के दर्शन......ब्रह्मांड की तुलना में अपनी क्षुद्रता के दर्शन .....पदार्थ के दर्शन ...ऊर्जा के दर्शन ......दर्शनमय......आनंदमय। सत्यम! शिवम!!सुन्दरम!!!
जवाब देंहटाएंमोहक!
जवाब देंहटाएंजी बिलकुल यही कहना चाहिए।
सादर नमन !
जवाब देंहटाएंस्मार्ट इंडियन जी, संजय जी, वाणी जी - आभार :)
जवाब देंहटाएंरश्मि जी, संगीता जी, सुज्ञ भैया - आने के लिए, टिपण्णी के लिए धन्यवाद :)
अरविन्द सर - कितनी अच्छी बात कही आपने - आभार आपका :)
कौशलेन्द्र सर - आपने तो सारे पहलू समेट लिए इस टिपण्णी में :)
अविनाश जी - आभार | ब्लॉग पर आपका स्वागत है :)
अर्चना जी - आभार :)
आनंदम्....आनंदम्!
जवाब देंहटाएंआभार :)
हटाएंबेहतरीन शब्द सामर्थ्य ...
जवाब देंहटाएंमनभावन रचना !
रंगोत्सव पर आपको शुभकामनायें !
सुन्दर चित्रों के साथ अनुपम प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंअँधेरे मन को प्रकाशित कर दिया.
आभार.
bahut sundar
जवाब देंहटाएंsundar chitra, sundar kavita
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