भाग १ , २
पहले भाग में हमने देखा कि कैसे पदार्थ तीन तरह के होते हैं - कंडक्टर (संवाहक conductor ), इंसुलेटर (विसंवाहक insulator ), एवं सेमि कंडक्टर (अर्ध संवाहक semiconductor ) जो साधारण परिस्थिति में तो इंसुलेटर हैं लेकिन विशेष स्थितियों में बिलकुल कंडक्टर की तरह बर्ताव करते हैं। परिशुद्ध या इंट्रिन्सिक सेमीकन्डक्टर की आणविक संरचना और इलेक्ट्रान व् होल्स का अलग होना भी पढ़ा ।
दूसरे भाग में हमने देखा कि कैसे शुद्ध सेमीकन्डक्टर में अशुद्धियां मिला कर "पी" और "एन" प्रकार के अशुद्धिकृत या एक्सट्रिंसिक सेमीकंडक्टर बनते हैं और इनके विद्युत् प्रवाहक कैसे आवेशित हैं (पी + और एन - आवेशित)
पहले भाग में हमने देखा कि कैसे पदार्थ तीन तरह के होते हैं - कंडक्टर (संवाहक conductor ), इंसुलेटर (विसंवाहक insulator ), एवं सेमि कंडक्टर (अर्ध संवाहक semiconductor ) जो साधारण परिस्थिति में तो इंसुलेटर हैं लेकिन विशेष स्थितियों में बिलकुल कंडक्टर की तरह बर्ताव करते हैं। परिशुद्ध या इंट्रिन्सिक सेमीकन्डक्टर की आणविक संरचना और इलेक्ट्रान व् होल्स का अलग होना भी पढ़ा ।
दूसरे भाग में हमने देखा कि कैसे शुद्ध सेमीकन्डक्टर में अशुद्धियां मिला कर "पी" और "एन" प्रकार के अशुद्धिकृत या एक्सट्रिंसिक सेमीकंडक्टर बनते हैं और इनके विद्युत् प्रवाहक कैसे आवेशित हैं (पी + और एन - आवेशित)
अब आगे
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हम जानते हैं कि पी - टाइप अर्ध संवाहक (P type extrinsic semiconductor) में हलके + आवेशित संवाहक (होल्स holes )हैं जो भारी - आवेशित आयन को न्यूट्रल बना रहे हैं। इस चित्र (१)की तरह :
इसके विपरीत एन टाइप अर्धसंवाहक में (N type extrinsic semiconductor) हलके - आवेशित संवाहक (इलेक्ट्रॉन्स electrons ) हैं जो भारी + आवेशित आयन को न्यूट्रल बना रहे हैं। इस चित्र (२ )की तरह :
चित्र २ (A,B): एन - टाइप सेमीकंडक्टर के अलग अलग प्रकटीकरण
इन चित्रों से साफ़ दिखता है कि , विद्युत् संवाहक हैं हलके भार वाले - इलेक्ट्रान (एन टाइप में) या फिर + होल (पी टाइप में) , और ये कवर कर रहे हैं अपने से ठीक विरुद्ध आवेशित भारी आयन को। जब ये हलके संवाहक दूर चले जाएँगे - तब क्या होगा ? होना क्या है - पीछे रह जाएगा भारी (विरोध) आवेशित आयन जो इतना कि अपने जगह ही फंसा हुआ है, विद्युत बल से चल नहीं सकता।
साधारण स्थिति में कोई भी एक स्ट्रक्चर पूरी तरह न्यूट्रल (तटस्थ या neutral ) है। लेकिन यदि पी और एन टाइप के दो अलग अलग सेंकण्डक्टर ले कर उन्हें जोड़ा जाए तो क्या होगा ?
भौतिकी में हम पढ़ चुके हैं कि diffusion (डिफ्यूजन) से जहाँ जो चीज़ जहां पर अधिक मात्रा में है वहां से वह उस तरफ भागती है जहाँ वह कम है ,और दोनों तरफ बराबर होने का प्रयास करती है।
अब ऊपर , क्योंकि पी टाइप में सिर्फ हलके होल्स बहुत - बहुत ज्यादा हैं और एन टाइप में बिलकुल ही कम हैं (इससे उलट भी - एन में इलेक्ट्रान ज्यादा हैं और पी में बहुत बहुत कम हैं) इसलिए दोनों तरफ के हलके संवाहक तुरंत दूसरी तरफ कूद भागने लगेंगे । पी टाइप की तरफ से + होल एन की तरफ भागेंगे ; और एन की तरफ से इलेक्ट्रान पी की तरफ। जैसे ही इलेक्ट्रान होल से मिलेगा दोनों ही जुड़ कर गायब हो जाएंगे (क्योंकि होल और कुछ नहीं सिर्फ बांड में इलेक्ट्रान की कमी से बना हुआ छिद्र भर है )
चित्र ३ : P-N junction formation पी एन जंक्शन बनने की प्रक्रिया
३(a) पी टाइप ३ (बी) एन टाइप
३ (सी ) दोनों का जुड़ना
चित्र १ (A,B) : पी टाइप सेमीकंडक्टर के अलग अलग प्रकटीकरण
इसके विपरीत एन टाइप अर्धसंवाहक में (N type extrinsic semiconductor) हलके - आवेशित संवाहक (इलेक्ट्रॉन्स electrons ) हैं जो भारी + आवेशित आयन को न्यूट्रल बना रहे हैं। इस चित्र (२ )की तरह :
इन चित्रों से साफ़ दिखता है कि , विद्युत् संवाहक हैं हलके भार वाले - इलेक्ट्रान (एन टाइप में) या फिर + होल (पी टाइप में) , और ये कवर कर रहे हैं अपने से ठीक विरुद्ध आवेशित भारी आयन को। जब ये हलके संवाहक दूर चले जाएँगे - तब क्या होगा ? होना क्या है - पीछे रह जाएगा भारी (विरोध) आवेशित आयन जो इतना कि अपने जगह ही फंसा हुआ है, विद्युत बल से चल नहीं सकता।
साधारण स्थिति में कोई भी एक स्ट्रक्चर पूरी तरह न्यूट्रल (तटस्थ या neutral ) है। लेकिन यदि पी और एन टाइप के दो अलग अलग सेंकण्डक्टर ले कर उन्हें जोड़ा जाए तो क्या होगा ?
भौतिकी में हम पढ़ चुके हैं कि diffusion (डिफ्यूजन) से जहाँ जो चीज़ जहां पर अधिक मात्रा में है वहां से वह उस तरफ भागती है जहाँ वह कम है ,और दोनों तरफ बराबर होने का प्रयास करती है।
अब ऊपर , क्योंकि पी टाइप में सिर्फ हलके होल्स बहुत - बहुत ज्यादा हैं और एन टाइप में बिलकुल ही कम हैं (इससे उलट भी - एन में इलेक्ट्रान ज्यादा हैं और पी में बहुत बहुत कम हैं) इसलिए दोनों तरफ के हलके संवाहक तुरंत दूसरी तरफ कूद भागने लगेंगे । पी टाइप की तरफ से + होल एन की तरफ भागेंगे ; और एन की तरफ से इलेक्ट्रान पी की तरफ। जैसे ही इलेक्ट्रान होल से मिलेगा दोनों ही जुड़ कर गायब हो जाएंगे (क्योंकि होल और कुछ नहीं सिर्फ बांड में इलेक्ट्रान की कमी से बना हुआ छिद्र भर है )
चित्र ३ : P-N junction formation पी एन जंक्शन बनने की प्रक्रिया
३(a) पी टाइप ३ (बी) एन टाइप
३ (सी ) दोनों का जुड़ना
अब क्या हो ? यह diffusion कब तक होगा ? याद कीजिये - ये हल=के संवाहक अपने से विपरीत आवेशित भारी आयन को कवर कर रहे थे। अब वे भाग गए हैं / पीछे विपरीत तरह का भारी आयन छूट गया है। चित्र ४ देखिये
अब भी सीधे हाथ की तरफ इलेक्ट्रान हैं जो बायीं तरफ जाना ,और बायीं तरफ के हल्के होल भी दायीं तरफ आना चाहते हैं। लेकिन उनके बीच में एक depletion region (रिक्तिकरण क्षेत्र) बन गया है जहां भारी आयन हैं जो अपनी अपनी तरफ के हलके भगौड़ों को कस कर बांधे हैं। सो भगौड़े भाग कर दूसरी तरफ जा नहीं पाएंगे। चित्र ५ देखिये। depletion region एक विद्युत तनाव पैदा कर रहा है जिससे दोनों तरफ के भगौड़े अपनी ही तरफ बढ़ गए हैं - दूसरी तरफ जाने के लिए उन्हें यह तनाव तोडना होगा।
चित्र ५ : रिक्तीकरण और विद्युत् तनाव क्षेत्र का निर्माण
इसके आगे अगले भाग में देखते हैं ......