एक रेलगाड़ी में एक सज्जन बैठे थे । वे अपना सारा सामान अपने सर पर रखे हुए थे - बड़े परेशान, थके हारे।परन्तु सामान नीचे रखने को तैयार ही नहीं थे । कई लोग उन्हें कह रहे थे कि सामान नीचे रख दें - पर वे सिर्फ बड़े दयाभाव से मुस्कुरा देते - परन्तु सामान नीचे न रखते । लोगों को लग रहा था की शायद सामान में कोई बेशकीमती चीज़ होगी जो ये नीचे रखने का खतरा मोल नहीं ले रहे ।
एक व्यक्ति ने उनसे कहा - "मैं तबसे देख रहा हूँ की आप सबके कहने से भी सामान नीचे नहीं रख रहे - सो मैं रखने को नहीं कहूँगा - परन्तु मैं यह जानना ज़रूर चाहता हूँ कि आप यह सामान उठाये क्यों बैठे हैं ?" इस पर उन ज्ञानी पुरुष का उत्तर था -
"बेचारी रेलगाड़ी हम सब का और हम सब के सामान का बोझ उठाये हुए है - उसका भार कम करने के लिए मैं अपनी मदद दे रहा हूँ । कुछ सामान मैं भी उठा लूं ..... तो ट्रेन पर बोझ कम हो जाए "
.......उस व्यक्ति ने उन्हें समझाने का प्रयास किया कि - भले ही सामान आपने सर पर उठाया हो, फिर भी वह वजन ट्रेन पर तो है ही -क्योंकि आप स्वयं भी इसी ट्रेन में ही तो बैठे हैं । परन्तु उन सज्जन को बात समझ न आई ।
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ऐसे ही कई मित्र प्रकृति और ईश्वर की मदद करने के लिए मांसाहार ले रहे हैं -कि प्रकृति / ईश्वर इतनी बड़ी मानव जनसँख्या के लिए भोजन कैसे दे सकेगी ? उन्हें समझाने पर भी यह समझ ही नहीं आ पाता कि जो मांस खाया जायेगा, उन पशुओं / जीवों का शाकाहारी भोजन भी तो वही प्रकृति उपलब्ध करा रही है - तो क्यों वह मानवों के लिए समुचित शाकाहारी भोजन नहीं दे सकेगी ?
:)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर! प्रासंगिक कथा और सटीक उदाहरण के साथ अपनी बात इतने प्रभावी ढंग से कहना तो कोई आपसे सीखे। कुछ लोग तो अपने-अपने तरीके से बोझ उठाने मे ऐसे लगे हुए हैं मानो उनसे पहले उनके भगवान-खुदा-गॉड-प्रकृति का कारोबार रुका हुआ था और उनके बाद तो ठप्प ही हो जायेगा।
जवाब देंहटाएंये जड़बुद्धि मनुष्य सभी को पैदा करने के लिए ईश्वर/अल्लाह को सर्वशक्तिमान भी कह देते है और लालच में कुरबानी का याचक भी कह देते है। इनका क्या भरोसा??
जवाब देंहटाएंअत्यंत प्रभावी दृष्टांत.....इसका कोयी जवाब नहीं .....
जवाब देंहटाएंलाज़वाब !
जवाब देंहटाएंअपनी अपनी बात को बुद्धि चातुर्य के साथ कहने का सलीका:)
जवाब देंहटाएंसोचने की बात है ...
जवाब देंहटाएंओह!आप इंजिनियर हैं तो जानती हैं
जवाब देंहटाएंभार रेलगाड़ी को ही वहन करना पड रहा
है.
पर आपने अपनी बात मांसाहार शाकाहार
से जोड़कर अद्भुत शिल्पकारी का परिचय दिया है.
काश! आपकी बात समझ आ जाए हमें भी.