नीचे दिए चित्र के सन्दर्भ में कुछ प्रश्न हैं - ज़रा हाँ या ना में उत्तर दीजिये
आप अपने कारण भी लिखना चाहें तो लिखें - यह सिर्फ एक जोक था - सिर्फ हाँ या न में लिखे की कंडीशन नहीं है
वैसे - जो उत्तर सबसे पहले आपके मन में आएगा वह शायद "हाँ" ही होगा
फिर आप सोचेंगे - इतना सिम्पल होता तो मैं यह क्यों पूछती - फिर आप शायद थोडा सोच कर उसका उत्तर "ना" कहेंगे -
और थोडा सोचें तो शायद फिर से हां
1. is the sun present in the above picture ?
2. was the sun above the horizon when this picture was clicked ?
3 while clicking this was i seeing the sun ?
4.was the sun in the sky when i took this photo ?
5. is it sunrise or sunset (well yes or no ans is not possible - so two q)
5a. is it sunrise ?
5b is it sunset ?
आदि आदि ।
सोचिये - उत्तर बाद में बताऊंगी :)
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24/1/13
अब उत्तर लिखे जाएँ ? यदि आप आज पहली बार यह पोस्ट पढ़ रहे हैं, तो इससे आगे आज न पढ़िए - कल पढ़ लीजियेगा । सोच देखिये, आप क्या उतर सोचते हैं ?
चलिए शुरू करते हैं
पहला जवाब तो सभी प्रश्नों का हाँ ही आएगा । लेकिन, क्योंकि यहाँ पहले ही पहेली सी बात हुई है, इसलिए हम सब उल्टा सोचना चाह रहे हैं - लेकिन नॉर्मली इस चित्र का इनमे से पहला जवाब "हाँ" ही है ।
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1. is the sun present in the above picture ?
Ans 1. of course it is present .
या ? शायद नहीं ?
Ans 2. ध्यान से सोचा जाए - तो सूर्य किसी भी चित्र में प्रेजेंट हो सकता है क्या ? सूर्य जी महाराज तो एक ही हैं, चित्र में तो दूर - वे तो धरती तक पर नहीं हैं । चित्र में उनकी सिर्फ इमेज है - स्वयं वे नहीं :)
तो थोडा सोचने के बाद उत्तर "नहीं" है
Ans 3. एक ग्रुप फोटो में हम कहते हैं - ये महात्मा गांधी हैं - तो बोलचाल की भाषा में नायक का चित्र ही नायक कहलाता है । जैसे हम अपने ड्राइंग रूम में लगे केलेंडर को राम जी कह कर शीश नवाते हैं - नहीं ? और इस चित्र के नायक तो सूर्य जी ही हैं - नहीं ?
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2. was the sun above the horizon when this picture was clicked ?
Ans 1. of course it was - दिख रहा है न क्षितिज से ऊपर???
Ans 2. ध्यान से - आपने light के reflection और refraction के बारे में सुना होगा न ? refraction वह होता है जिसके कारण ग्लास में रखा चम्मच हमें पानी की सतह से नीचे और ऊपर अलग कोण पर मुड़ा हुआ लगता है, जबकि हम जानते हैं कि वह सीधा है, मुड़ा हुआ नहीं है । अलग अलग माध्यम में रौशनी की गति अलग होती है - तो प्रतीत होता है की रौशनी आ कहीं और से रही है - जबकि असल में वह कहीं और से आ रही है - किरणें मुड़ी हुई लगती हैं । .......... तो, जब हम सूर्योदय या सूर्यास्त देखते हैं, तब दरअसल सूरज हमारी आँख की सीध में होते नहीं हैं । वे हमारी आँखों की सीध की उस रेखा से नीच जा चुके होते हैं जो हमें धरती और सूर्य के मिलने की रेखा दिखती है - लेकिन क्योंकि सूर्य की किरणें खाली अंतरिक्ष और हमारे वायुमंडल से हो कर हम तक पहुँचती हैं - तो वे जैसे जैसे वायुमंडल की ऊपरी परतों से धरती के निकट को आती हैं, हवा गाढ़ी होती चली जाती है। और रौशनी की गति लगातार बदलती है । तो किरनें सीढ़ी रेखा में नहीं, बल्कि घूमती हुई हमारी आँख तक पहुँचती हैं और सूर्य को हम अपने नज़र से उस घुमाव की दिशा को सीधी दिशा समझते हुए अपने असली जगह से बहुत ऊपर देखते हैं । असल में क्षितिज से नीचे होते हैं सूर्य जी :) चित्र देखिये
Ans 3. अब फिर एक बार सोचिये । आपमें से अधिकतर लोग दुसरे उत्तर को पहले से जानते थे . लेकिन आगे इससे सोचिये ?
यदि सूर्य जी "क्षितिज" से ऊपर प्रतीत होते हुए भी उससे नीचे हैं, तो फिर "क्षितिज" तो खुद ही एक कल्पित जोड़ रेखा है जहां धरती और आसमान मिलते नहीं , बल्कि मिलते से "प्रतीत होते हैं" । तो जी - यह "होता" नहीं है, बल्कि सिर्फ "आभासित" होता है । और जो आभासित होता है - वह, सीधी रेखा में नहीं होता । असल में रौशनी भले ही सीधी रेखा में चलती है, किन्तु आभासित क्षितिज को हम अपने आसमान में हवा की उन्ही परतों के पार देख रहे हैं - जो सूर्य की रेखाओं को हमें मुड़ा हुआ दिखा रही है । तो क्षितिज भी धरती पर अपनी स्थिति से tangential रेखा की सीध में नहीं है - वह खुद भी उस सीढ़ी रेखा से उतना ही नीछे स्थित है जितना सूर्य देवता :)
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3 while clicking this was i seeing the sun ?
Ans 1. हाँ - बिलकुल - तभी तो चित्र में आया है न ?
Ans 2. नहीं जी - कोई भी अपने मोबाइल से फोटो खेंचते हुए विषय वस्तु को नहीं देख रहा होता, बल्कि मोबाइल की स्क्रीन को देख रहा होता है की वह सीन ठीक से आ रहा है या नहीं । आपने कितने ही चित्र लिए होंगे न मोबाइल से ? कभी आप अपने दोस्त को देखते हैं जिसका चित्र के रहे हैं? या सिर्फ मोबाइल की स्क्रीन को ? :) :)
ANS 3. फिर सोच देखिये एक बार - प्रश्न फिर से पढ़िए । प्रश्न है - "while clicking this was i
seeing the sun ?" was i "seeing" the sun -
looking at the sun नहीं पूछा है । प्रश्न ही नहीं उठता - सूर्य जी इतने ब्रिलियंट और बड़े हैं - मैं भले ही मोबाइल स्क्रीन को "देख" रही थी, लेकिन सूर्य जी मुझे "दिख" तो रहे ही थे - संभव ही नहीं की मोबाइल के पीछे सूर्य हों तो वे न "दिखें" भले ही मैं मोबाइल पर नज़र रखी हूँ, किन्तु वे महाराज दिखेंगे तो अवश्य । :) :)
(वैसे इस प्रश्न में "I " भी एक खेल है - यह भी हो सकता था न कि चित्र मैंने न लिए हो ? :) किसी और ने लिए हों चित्र और उस वक्त मैं कही और रही होऊं ? "मैं" उस समय सूर्य जी को न देख रही होऊं ?)
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4.was the sun in the sky when i took this photo ?
Ans 1. हाँ - वे वहां थे - तभी तो दिख रहे हैं न ?
Ans 2. "sky" शब्द "अंतरिक्ष" शब्द से अलग है । नार्मल भाषा में स्काई या आकाश हमारे धरती के वातावरण के लिए प्रयुक्त होता है - अंतरिक्ष का अर्थ स्पेस होता है और सूर्य देवता जी स्पेस में हैं ।
Ans 3. ऊपर का ans 2.सिर्फ एक टेक्नीकल लोचा है - जैसा कि मुन्नाभाई जी के दिमाग में केमिकल लोचा हुआ था तो उन्हें सब ओर गांधी बापू नज़र आने लगे थे - गांधी बापू कहीं थे नहीं । क्या यार - यह अब स्काई और स्पेस को सेपरेट करना कुछ ज्यादा ही टांग खिंचाई हो गयी
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5.
Ans 1. sunset है ।
Ans 2. अरे बाबा सूर्य जी न सेट होते हैं, न राइज होते हैं - यह सब हमारी नज़र और भाषा का खेल है - सूरज देवता हमेशा अपनी जगह पर ही स्थित रहते हैं ।
Ans 3. तकनीकी तरह से यदि कहा जाए - तो उस वक्त भारत में sunset दिख रहा था, लेकिन धरती के किसी और भाग में - शायद पसिफ़िक ओशन पर - सनराइज दिख रहा होगा - क्योंकि हर पल सूर्य को हम यदि एक जगह से पूर्व में उगता देखते हैं तो पश्चिम में कहीं और सनराइज हो रहा होता है ।
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कुछ ज्यादा ही हो गया - नहीं ? बस ऐसे ही मज़ाक कर रही थी । लेकिन असल में यह सनसेट के समय लिया था मैंने - और ऑलमोस्ट सभी इसे सनराइज ही कह रहे हैं - फेसबुक पर भी इसी चित्र पर वाणी जी ने कहा "
sunrise or sunset कई बार एक जैसे दिखते हैं !" तो मैंने कहा
"bilkul - ab main is par ek post ..." और पोस्ट लिख दी - यह सिर्फ एक मज़ाक था - तो इसे बहुत सीरियसली न लिया जाए प्लीज़