गिरिजेश राव जी से काफी समय पहले यह पोस्ट लिखने का कहा था - फिर भूल गयी। अभी पिछले हफ्ते कॉलेज में मिनी प्रोजेक्ट "अविष्कार" प्रतियोगिता में एक बैच ने यही प्रोजेक्ट लगाया था (वे प्रथम भी आये) तो याद आया की यह पोस्ट लिख लेनी चाहिए अब तो।
यह एक प्रोजेक्ट है जो परललाइज़ड लोगों के लिए और उनके अटेन्डर्स के लिए बहुत मददगार होगा - उनके लिए जो बोल तक नहीं सकते अब किसी भी वजह से।
यह प्रोजेक्ट ब्रेन वेव्स को सेन्स करता है। व्यक्ति के आगे एक स्क्रीन होगी जिस पर पानी, खाना, टॉयलेट कपडे आदि के icons दीखते होंगे। व्यक्ति इनमे से जो भी चाहे उस पर देखे और ध्यान केंद्रित करे - और उसके ब्रेन के तरंगों को समझ कर यह सिस्टम समझ सकेगा की वह क्या चाह रहा है। आजकल के स्मार्ट फोन्स में भी "रेटिना" सेंसर" होते हैं जो देखते हैं कि व्यक्ति सतह को देख रहा है या नहीं। इससे एक कदम आगे यह सिस्टम यह भी देखता है कि व्यक्ति का ध्यान स्क्रीन के किस हिस्से (आइकॉन) पर है।
फिर या तो रोबोटिक अटेंडर या फिर मानव अटेंडर को पेशेंट की यह requirement बताई जायेगी - मानव अटेंडर हो तो व्यक्ति के विचारों की तरंगों को पढ़ कर शब्दों में बदलने के भी सिस्टम हैं।
यह प्रोजेक्ट परलाइज़ड लोगों के लिए एक वरदान सिद्ध होगा ऐसा मुझे लगता है। डिटेल में फिर कभी चर्चा करुँगी इसके पीछे की टेक्नोलोजी की। अभी इतना ही :)
यह एक प्रोजेक्ट है जो परललाइज़ड लोगों के लिए और उनके अटेन्डर्स के लिए बहुत मददगार होगा - उनके लिए जो बोल तक नहीं सकते अब किसी भी वजह से।
यह प्रोजेक्ट ब्रेन वेव्स को सेन्स करता है। व्यक्ति के आगे एक स्क्रीन होगी जिस पर पानी, खाना, टॉयलेट कपडे आदि के icons दीखते होंगे। व्यक्ति इनमे से जो भी चाहे उस पर देखे और ध्यान केंद्रित करे - और उसके ब्रेन के तरंगों को समझ कर यह सिस्टम समझ सकेगा की वह क्या चाह रहा है। आजकल के स्मार्ट फोन्स में भी "रेटिना" सेंसर" होते हैं जो देखते हैं कि व्यक्ति सतह को देख रहा है या नहीं। इससे एक कदम आगे यह सिस्टम यह भी देखता है कि व्यक्ति का ध्यान स्क्रीन के किस हिस्से (आइकॉन) पर है।
फिर या तो रोबोटिक अटेंडर या फिर मानव अटेंडर को पेशेंट की यह requirement बताई जायेगी - मानव अटेंडर हो तो व्यक्ति के विचारों की तरंगों को पढ़ कर शब्दों में बदलने के भी सिस्टम हैं।
यह प्रोजेक्ट परलाइज़ड लोगों के लिए एक वरदान सिद्ध होगा ऐसा मुझे लगता है। डिटेल में फिर कभी चर्चा करुँगी इसके पीछे की टेक्नोलोजी की। अभी इतना ही :)
आप मेरे ब्लॉग पर आईं.बहुत अच्छा लगा.... आभार .
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएँ
ji. Thanks for coming here too - and thanks for your "abhaar" :)
हटाएंthanks :)
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी..
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति...
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