शब्द नही हैं, कहने के लिए जो महसूस कर रही हूँ ।
प्रिय अजेया कन्या, लोग तुम्हे जाने कौन कौन से नाम देंगे, अजेया, निर्भया, दामिनी .... ।
मेरे लिए - तुम अभिमन्यु थीं - जिसने अनेक दुष्टों से घिर कर भी हार नहीं मानी और संघर्ष किया - सांस रहने तक । तुम द्रौपदी भी हो, तुम अभिमन्यु भी । मुझे तुम पर गर्व है ।
तुम द्रौपदी हो जिसके मान पर हमला किया गया, तुम अभिमन्यु हो , जो सत्य के लिए लडती हुई शहीद हुईं । गर्वित हूँ मैं तुम पर , और शर्मिन्दा हूँ इन कापुरुषों पर ।
** जहां के अंधे सत्तालोलुप राज्य अधिकारी "धृतराष्ट्र" अपनी बेटियों के चीरहरण को मौन समर्थन देते रहेंगे,
** जहां के राजपुत्र बहू बेटियों को वेश्या कह कर संबोधित करेंगे और उनके चीरहरण को अपना अधिकार बताएंगे , चीरहरण की कीमत तय करेंगे
** जहां के पितामह अपने बेटे की बेहूदगी को अपने वचन की ढाल के पीछे छुप कर मौन समर्थन दें,
वहां हमेशा अभिमन्यु शहीद होते हैं ।
तुम अभिमन्यु थीं, मैं तुम्हारे शौर्य को प्रणाम करती हूँ ।
उस बेटी को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि जिसने सिर्फ "लड़की शरीर" ले कर जन्म लेने की इतनी क्रूर सजा भुगती ...
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क़ानून में बदलाव सम्बन्धी सुझाव भेजने का पता :
ई मेल: justice.verma@nic.in
फैक्स: 011- 23092675
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सभी मित्रों से प्रार्थना है --- कृपया एक जनवरी की तारीख को, नव वर्ष के अर्थहीन सुखमय गीतों के बजाय , बलात्कार सम्बंधित केसों की सुनवाई के लिए
*** अखिल भारतीय स्तर पर (सिर्फ फेमस हुए केस नहीं हर केस के लिए)
*** स्थायी तौर से
*** "फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट्स"
की मांग को लेकर पोस्ट लिखें ।
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जो हैवानियत एक बच्ची के साथ हुई वह किसी और के साथ न हो, इसके लिए प्रयत्न करें ।
बहुत से स्त्री / पुरुष यह भी कह रहे हैं कि "वह रात में बाहर क्यों थी लड़की हो कर" वे यह बात ध्यान में रखें कि, बलात्कार तो 3 साल की बच्चियों के साथ भी हो रहा है - अपने ही घर में । उन साथियों से अनुरोध है, कृपया यह याद रखिये - जो बरबरता उस बच्ची के साथ हुई - वह किसी पुरुष के शरीर के साथ भी हो सकती थी । इसलिए इसे "स्त्री मामला" मान कर नज़र अंदाज़ न करें, न ही सुपीरियर स्माइल्स के साथ चुप्पी रखें ।
कृपया जागें - कुछ करें ।
स्त्री सिर्फ शरीर भर नहीं है, सिर्फ माँ भर नहीं है, कोख भर नहीं है, वह मनुष्य है ।
और उसे शरीर के रूप में देखना, यह सोच रखने वाले मन को नीचा साबित करता है, स्त्री को नहीं । लेकिन इसकी सजा स्त्री भुगतती है ।
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प्रिय अजेया कन्या, लोग तुम्हे जाने कौन कौन से नाम देंगे, अजेया, निर्भया, दामिनी .... ।
मेरे लिए - तुम अभिमन्यु थीं - जिसने अनेक दुष्टों से घिर कर भी हार नहीं मानी और संघर्ष किया - सांस रहने तक । तुम द्रौपदी भी हो, तुम अभिमन्यु भी । मुझे तुम पर गर्व है ।
तुम द्रौपदी हो जिसके मान पर हमला किया गया, तुम अभिमन्यु हो , जो सत्य के लिए लडती हुई शहीद हुईं । गर्वित हूँ मैं तुम पर , और शर्मिन्दा हूँ इन कापुरुषों पर ।
** जहां के अंधे सत्तालोलुप राज्य अधिकारी "धृतराष्ट्र" अपनी बेटियों के चीरहरण को मौन समर्थन देते रहेंगे,
** जहां के राजपुत्र बहू बेटियों को वेश्या कह कर संबोधित करेंगे और उनके चीरहरण को अपना अधिकार बताएंगे , चीरहरण की कीमत तय करेंगे
** जहां के पितामह अपने बेटे की बेहूदगी को अपने वचन की ढाल के पीछे छुप कर मौन समर्थन दें,
वहां हमेशा अभिमन्यु शहीद होते हैं ।
तुम अभिमन्यु थीं, मैं तुम्हारे शौर्य को प्रणाम करती हूँ ।
उस बेटी को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि जिसने सिर्फ "लड़की शरीर" ले कर जन्म लेने की इतनी क्रूर सजा भुगती ...
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क़ानून में बदलाव सम्बन्धी सुझाव भेजने का पता :
ई मेल: justice.verma@nic.in
फैक्स: 011- 23092675
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सभी मित्रों से प्रार्थना है --- कृपया एक जनवरी की तारीख को, नव वर्ष के अर्थहीन सुखमय गीतों के बजाय , बलात्कार सम्बंधित केसों की सुनवाई के लिए
*** अखिल भारतीय स्तर पर (सिर्फ फेमस हुए केस नहीं हर केस के लिए)
*** स्थायी तौर से
*** "फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट्स"
की मांग को लेकर पोस्ट लिखें ।
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जो हैवानियत एक बच्ची के साथ हुई वह किसी और के साथ न हो, इसके लिए प्रयत्न करें ।
बहुत से स्त्री / पुरुष यह भी कह रहे हैं कि "वह रात में बाहर क्यों थी लड़की हो कर" वे यह बात ध्यान में रखें कि, बलात्कार तो 3 साल की बच्चियों के साथ भी हो रहा है - अपने ही घर में । उन साथियों से अनुरोध है, कृपया यह याद रखिये - जो बरबरता उस बच्ची के साथ हुई - वह किसी पुरुष के शरीर के साथ भी हो सकती थी । इसलिए इसे "स्त्री मामला" मान कर नज़र अंदाज़ न करें, न ही सुपीरियर स्माइल्स के साथ चुप्पी रखें ।
कृपया जागें - कुछ करें ।
स्त्री सिर्फ शरीर भर नहीं है, सिर्फ माँ भर नहीं है, कोख भर नहीं है, वह मनुष्य है ।
और उसे शरीर के रूप में देखना, यह सोच रखने वाले मन को नीचा साबित करता है, स्त्री को नहीं । लेकिन इसकी सजा स्त्री भुगतती है ।
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सहमत !
जवाब देंहटाएंश्रद्धांजलि! सफर लंबा है, मंज़िल बहुत दूर है ...
जवाब देंहटाएंउन गुनेह्गारों को सरेआम निवस्त्र कर के मुह काला कर के उनके साथ वही सुलूक करना चाहियें जो उन्होंने बच्ची के साथ किया था | फांसी बहुत छोटी सज़ा है उन जैसे दरिंदों के लिए |
जवाब देंहटाएंजीवन भले ही ही हारा हो मगर जिजीविषा नहीं -यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा -हम सभी क्षुब्ध हैं और एक बड़ी असहायता महसूस कर रहे हैं किन्तु धैर्य बनाए रखिये !
जवाब देंहटाएंशिल्पा
जवाब देंहटाएंकमेंट्स में आप को धैर्य रखने को कहा गया हैं , रखिये
या फिर बहिष्कार करना सीखिये उन सब का जो स्त्री को महज शरीर समझते हैं
दिखाईये उनकी असली मानसिकता इस समाज को
सादर रचना
मे गॉड ब्लेस हर सोल
जवाब देंहटाएं:(
जवाब देंहटाएं:(
....... धैर्य क्या रखूँ, रो रही हूँ रोज़ .....
नहीं है मुझमे इतनी हिम्मत कि मैं धैर्य रख सकूं ..... :( :(
ये बलिदान व्यर्थ न जाए ... इसके लिए प्रयास्तर रहने के संकल्प की जरूरत है नए वर्ष में ...
जवाब देंहटाएंmy comment at the santosh trivedi ji's blog post
जवाब देंहटाएंhttp://www.santoshtrivedi.com/2013/01/blog-post.html
you should NOT superimpose your thoughts and wishes on a dead girl and write them as if coming from her - it is as cruel as what those animals did to her .... the whole post is outrageous......
how can you , as a man , try to even feel things and speak on the behalf of rape victims never even giving them the dignity to feel their sorrow - make her into a tyagmayi devi and smoothly polish off the whole henios episode .... yuck
@@ मेरे साथ जो हुआ,इसकी मुझे कोई शिकायत नहीं है??? - WHO THE HELL ARE YOU TO SAY THAT ??
@@ मेरे नश्वर शरीर का मरना यदि किसी मरते हुए समाज को जिंदा करने में सहायक है तो,ऐसी मौत के लिए मुझे फख्र है ???? - evry human wants to live - DON't TURN HER INTO A WILLING MARTYR _ SHE WANTED TO LIVE _SHE SAID SO....
@@ जिन्होंने मेरे शरीर को नोचा-खसोटा,उनके लिए भी मेरे मन में सहानुभूति है। ??? - OH REALLY ????
@@ मैं तो एक प्रतीक मात्र थी??? - OH REALLY _ she might have been "prateek maatr to YOU santosh ji - she was not a prateek maatr to herself and her family ....shameful to say all this
@@ उस दिन किसी दामिनी के साथ नहीं,इस व्यवस्था के साथ बलात्कार हुआ था ??? - oh really ?? poori vyavasthaa ke sath haan ? to jo baaki har don ho rahe hain ve balaatkaar ?? aur hua bhi ho poori vyavasthaa ke saath - to usse "daamini ke saath nahi hua" kahne ka adhikaar hai aapko ??
who gave you the right to make her personal suffering so negligible ??
shameful shameful shameful... and i oppose ALL THE COMMENTATORS HERE WHO ARE AGREEING WITH YOU HERE .... at this post