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बुधवार, 21 जनवरी 2015

शिव पुराण ६ : मल्लिकार्जुन स्वामी - श्रीशैले mallikarjuna shrishaila

                

शिव और शिवा के दो पुत्र हैं - कार्तिकेय और गणेश।  जब दोनों पुत्रों के विवाह की बातें चलीं तो दोनों ही कहने लगे कि उनका विवाह पहले हो।  तब शिव और पार्वती जी ने कहा , कि जो संसार की परिक्रमा कर के पहले लौट आये - उसका विवाह पहले होगा।

कार्तिकेय जी अपने वाहन मोर पर बैठ कर प्रदक्षिणा को निकल पड़े किन्तु गणेश जी ने यह नहीं किया।  उन्होंने अपने माता पिता को अपने आसन पर बैठाया और उनकी परिक्रमा कर ली ।  तब गणेश जी ने कहा कि अब आप मेरे विवाह का प्रबंध करें।  माता पिता ने कहा कि प्रिय पुत्र, कार्तिकेय आगे चले गए हैं - तुम भी जल्दी जाओ और पहले लौटने पर ही तुम्हारा विवाह पहले होगा।  इस पर गणेश जी बोले कि वेद वाणी के अनुसार मैंने संसार की परिक्रमा कर ली है , क्योंकि वेद कहते हैं कि माता पिता की परिक्रमा संसार की परिक्रमा जैसा ही है।  क्या वेदवाणी झूठी है ?

शिव और शिवा वेदवाणी को नहीं झुठला सकते थे, तो उन्होंने  गणेश जी का विवाह करा दिया (विश्वरूप जी की पुत्रियों , ऋद्धि , और सिद्धि से। उनके पुत्र हुए क्षेम और लाभ। (कहीं लिखा आता है बुद्धि और सिद्धि से विवाह हुआ और पुत्र हुए लक्ष्य और लाभ ) जब कार्तिकेय वापस आये तो यह सब पता चलने पर बहुत क्रोधित हुए , और कभी विवाह न करने का व्रत लेकर कैलाश त्याग कर क्रौंच पर्वत पर तप करने चले गए।  पुत्र के यूँ रूठ कर जाने से माता पार्वती बहुत दुखी हुईं।

शिव जी पार्वती जी सहित बेटे को मनाने गए किन्तु कुमार कार्तिकेय न माने और वह स्थान भी छोड़ कर जाने लगे।  देवगणों के समझाने पर वे वहीँ रहे , किन्तु माता पिता के साथ नहीं।  तब शिव जी और पार्वती जी ने वहीँ समीप ही श्रीशैले में रहने का  निर्णय किया और वहां स्वयं को स्थापित किया।  कहते हैं कि शिव जी अमावस्या के दिन और पार्वती माता पूर्णिमा के दिन अपने पुत्र को मिलने आते हैं।

यहीं पास ही एक शक्तिपीठ भी है।  जब माता सती ने अपने पिता दक्ष के अपने पति के प्रति अपमानजनक व्यवहार से क्रुद्ध होकर योग-अग्नि में स्वयं को भस्म कर लिया था , तब शिव जी उनका जलता मृत शरीर उठाये संसार भर में घूमते रहे थे। तब उनका मोह नष्ट करने के लिए श्री विष्णु ने माता के शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिए थे - जो धरती पर यहां वहां गिर गए  थे।  उन सब जगहों पर माता के शक्ति पीठ हैं। तब यहीं माता के ऊपरी होंठ के गिरने से यहां भी एक शक्तिपीठ है।






3 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर जानकारी। पर आपके दो चित्रों में काफी फरक लग रहा है क्या ये एक ही मंदिर की तस्वीरें हैं ?

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    1. but here in south india - the kind of structur which you are seeing in the white image is usually a grand pravesh dwaar only. then inside the "praangan" there are many temples - including the main temple.

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    2. draft appeared - i changed it. नया चित्र लगाया है आशा जी - भीतर की तरफ से। वह सफ़ेद वाला स्ट्रक्चर सिर्फ प्रवेश द्वार है।

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