Extrinsic Semiconductors Basic Electronics 2 मूलभूत इलेक्ट्रॉनिकी भाग २
भाग १
मेरा आग्रह है कि इस श्रृंखला की कोई पोस्ट सीधे न पढ़ी जाए। पहले भाग से शुरुआत समझने के लिए आवश्यक है ( - हाँ यदि आप पहले से ही इस विषय को जानते हैं तो बात और है )
पिछले भाग में हमने परमाणु की संरचना , ( ग्रुप ४) के पदार्थों में पाये जाने वाले कोवलेंट बांड्स ,और शुद्ध अर्ध संवाहकों (इंट्रिंजिक सेमीकंडक्टर्स) पर चर्चा की। अब देखें कि शुद्ध सिलिकॉन में यदि दुसरे समूह की अशुद्धि मिलाई जाए तो क्या होगा ?
शुद्ध सिलिकॉन (समूह ४ - बाहरी कक्षा में ४ इलेक्ट्रान)) की संरचना पहले दो चित्रों में है। शून्य डिग्री केल्विन तापमान पर पहले चित्र की तरह कक्षाओं में घूमते हुए सभी इलेक्ट्रान बांड्स में हैं जैसा पहले चित्र में दिख रहा है।लेकिन तापमान बढ़ने पवार ये उछल कूद करने लगते हैं। जैसे हम धूप में आंगन में खड़े रहें तो उछलने लगते हैं :)
कमरे के साधारण तापमान (करीब ३०० डिग्री केल्विन) पर कुछ इलेक्ट्रान पूरी तरह बाहर कूद आते हैं और पीछे छिद्र का प्राकट्य होता है। इन छिद्रों को holes कहते हैं। यहाँ सिलिकॉन है लेकिन जर्मेनियम की रचना भी ऐसी ही समझी जाए। मैं दोनों की चर्चा कर रही हूँ - इलेक्ट्रॉनिकी के लिए इस तरह का मोटा मोटी अंदाज़ा काफी है।
चित्र १ - ० डिग्री केल्विन (यह absolute zero temperature कहलाता है - पानी जमने के तापमान से २७३ डिग्री सेल्सिस कम )
चित्र २ - साधारण तापमान (तकरीबन ३०० डिग्री केल्विन या २३ डिग्री सेल्सियस - कमरे का साधारण तापमान)
और तीसरे चित्र में इस शुद्ध चौथे समूह के पदार्थ में (जर्मेनियम है यहां) में पांचवे समूह (ग्रुप ५ अर्थात बाहरी कक्षा में ५ इलेक्ट्रान) की थोड़ी सी अशुद्धि मिलाई गई है। अब ग्रुप ५ के हर एक परमाणु पर ५ इलेक्ट्रान होने से ४ तो बांड में हिस्सा ले सकते हैं लेकिन आखरी का एक बांड से बाहर है। यह इसलिए कि कोवलेंट बांड सम्पूर्ण होकर भी एक इलेक्ट्रान बाकी है जो बाहर जाने को उद्धत है क्योंकि बाकी चार तो बांड को सम्पूर्णता दे ही चुके हैं। ( पिछले पोस्ट में हमने देखा था कि बाहरी कक्षा में ८ की संख्या चाहिए)चित्र २ - साधारण तापमान (तकरीबन ३०० डिग्री केल्विन या २३ डिग्री सेल्सियस - कमरे का साधारण तापमान)
तब यह संरचना देखिये -
यहां पिछली बार से उलटी स्थिति है। एक इलेक्ट्रान कम है इसलिए एक बांड में ८ की जगह ७ ही इलेक्ट्रान हैं। इस कमी को hole कहिये। जब विद्युत क्षेत्र होगा तो यह होल -VE टर्मिनल की तरफ बढ़ना चाहेगा। कैसे जाए ? यह उस तरफ के बांड में से एक इलेक्ट्रान को अपनी जगह भरने के लिए खींचने लगेगा । जैसे ही वह इलेक्ट्रान यहां आया, उसके जगह वहां छिद्र बना। तो होल अपनी जगह से खिसक गया न ?
इस बार दौड़ने को तैयार धावक + आवेशित है - अर्थात पॉजिटिव या positive - इसलिए यह संरचना P -type सेमीकंडक्टर कहलाती है।
एसके आगे अगली पोस्ट में .....
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