फ़ॉलोअर

मंगलवार, 1 जुलाई 2025

तत्वयोद्धा - भाग 001 - परिचय

तत्वयोद्धा: एक नई कथा का आरंभ - परिचय

✍️ मायालेखा की लेखनी से बुनी गई एक कथा
(शिल्पा मेहता की रचना)

सभी अधिकार सुरक्षित, कॉपीराइटेड, copyrighted
(इस शृंखला का टाइटल और सभी नाम और पात्र कॉपीराइट किये जा रहे हैं)


🧭 तत्वों की ओर पहला क़दम

कभी सोचा है कि शरीर के भीतर छिपे चक्र और पंच तत्त्व की असली शक्ति क्या कर सकती है? यदि योग, ध्यान और आत्म साधना से कोई व्यक्ति, केवल शारीरिक नहीं, बल्कि तत्त्व स्तर पर एक योद्धा बन जाए तो?

हम सभी ने महाभारत और रामायण की कहानियाँ सुनी हैं — जहाँ युद्ध अस्त्र-शस्त्रों से होते थे। लेकिन यदि हम पुराणों में गहराई से झाँकें, तो पाएंगे ऐसे अनेक पात्र, जो केवल इच्छा से बहुत कुछ रच सकते थे, या विनष्ट कर सकते थे। जैसे कर्दम ऋषि और देवहूति माता की कथा में हुआ, जैसे विश्वामित्र जी ने त्रिशंकु जी के लिए एक नया स्वर्ग लोक रचा, जैसे ऋषि वशिष्ठ जी ने अपनी गाय की रक्षा हेतु एक संपूर्ण सेना उत्पन्न कर दी।

तत्वयोद्धा इसी तरह की एक अद्भुत शक्ति-यात्रा की कल्पनाशील प्रस्तुति है

तत्वयोद्धा एक कल्पना आधारित धारावाहिक कथा है, जहाँ तत्त्वों पर नियंत्रण और आंतरिक साधना मानव को योद्धा नहीं, तत्वयोद्धा बनाती है। तत्त्व योद्धा धारावाहिक मेँ हम मुख्यतः तत्वों पर नियंत्रण से चमत्कारिक युद्ध शक्तियों पर केंद्रित रहेंगे, लेकिन यह इस तक ही सीमित नहीं है। यह मित्रता, अकेलेपन, गुरु-शिष्य संबंध, आत्म-विकास और आत्म-संघर्ष की भी यात्रा है। यहाँ गुरुकुलों की प्राचीन परंपरा में बालक-बालिकाएं अपने गुरुओं के मार्ग दर्शन मेँ तत्त्व साधना, हस्तमुद्राएं, और योग द्वारा अपनी अंतर्निहित शक्ति को जगाते हैं। यह कहानी गुरुकुल परंपरा के रचे बसे गांवों की है, जहाँ बच्चों को तत्त्वों की साधना सिखाई जाती है। कड़े परिश्रम के साथ बच्चे अपने भीतर की शक्तियों को जागृत करते हुए बड़े होते हैं, समाज और देश की सेवा करते हैं, शुभ परिणामों के लिए प्रयास करते हैं। शिष्य गुरुओं के मार्गदर्शन मेँ, अकेले, और दल के साथ उद्देश्य पूर्ति के लिए अथक मेहनत करते हैं और अलग-अलग परिस्थितियों और शत्रुओं का सामना करते हैं। जहाँ प्राचीन ज्ञान से सुप्त शक्तियाँ जगाई जाती हैं, नई शक्तियां अर्जित की जाती हैं। और उनका उपयोग अनेक प्रकार से होता है। इस कहानी मेँ अनेक युद्ध हैं लेकिन यह कहानी सिर्फ युद्ध तक सीमित नहीं।

योद्धा का मार्ग धर्म का मार्ग है, लेकिन मानवी भूलें भी हैं, मानवी भावनाएं भी। किसी एक का मार्ग, सिर्फ उसका नहीं रहेगा। समय के साथ बच्चे बड़े होंगे, समझदार होंगे और मंजिलें पार करते जाएंगे। रास्ते मेँ संगियों का साथ भी होगा और संगी छूटेंगे भी। हंसी भी होगी और आँसू भी। शत्रु जीते भी जाएंगे, और कभी कभी जीतेंगे भी। हमारे वीर वीरगति भी पाएंगे राह मेँ। कुछ "शत्रुओं" का हृदय परिवर्तन भी कर सकेगा हमारा नायक।

तो अब कहानी की तरफ बढ़ते हैं। 

🌿 क्या है "तत्वयोद्धा" शृंखला?

⏳ यह किसी एक पात्र की कथा नहीं। यहाँ कोई पूर्ण नायक या नायिका नहीं है, और कोई पूर्ण खलनायक या खल-नायिका भी नहीं। अधिकांश पात्र प्रकाश और छाया, दोनों का दर्पण है।

🔮 आप क्या पाएंगे इस श्रृंखला में?

  • भावनाएँ: आत्मविकास, बिछोह, गुरुकुलीय संबंध
  • गहराई: पंचतत्त्व और चक्रों की कल्पनाशील व्याख्या
  • रहस्य: हर बालक और बालिका के भीतर सोई कोई शक्ति
  • प्रेरणा: योग और साधना से शक्ति की खोज

🔥 यह श्रृंखला किसके लिए है?

उन पाठकों के लिए जो हिन्दी में कुछ नया, आत्मिक और रोमांचक पढ़ना चाहते हैं।

🔔तो अब तैयार हो जाइए…

एक ऐसे लोक में प्रवेश के लिए जहाँ नायक अकेला नहीं होगा। जहाँ हर पात्र तत्त्वों के विराट यंत्र का यंत्र चालक बन सकता है। 

तो आगे बढ़ते हैं, अगले भाग से कहानी शुरू होगी, "तत्व योद्धाओं" की। अगले भाग में मिलते हैं



मंगलवार, 28 फ़रवरी 2023

Measuring Astronomical distances in Space

क्या आप जानते हैं कि दूरी कैसे मापी जाती है? बिल्कुल!!! हम सब जानते हैं, है ना?

मान लीजिए कि मैं एक नोटबुक को मापना चाहती हूं, मैं एक पैमाना/रूलर लूंगी, एक किनारे पर शून्य का निशान रखूंगी, और विपरीत किनारे पर रीडिंग की जांच करूंगी। यदि नापी जाने वाली वस्तु बड़ी है (मान लीजिए एक मेज), तो हम मापक के स्थान पर मापन फीते का उपयोग करते हैं। इससे भी लंबी दूरी का आकार हो तो? जैसे एक कमरे की लंबाई? कुछ भी मुश्किल नहीं है, हम उस जगह को चिह्नित करेंगे जहां टेप समाप्त होता है, इसे स्थानांतरित करेंगे, और कमरे के विपरीत कोने तक पहुंचने तक फिर फिर से शुरू करते जाएंगे। अब बस अलग-अलग नापों का जोड़ हमें कमरे की कुल लम्बाई बता देगा। 

अब शहरों के बीच की दूरी का क्या? यह एक कठिन चुनौती हो सकती है, कि नापने के टेप को मुंबई से दिल्ली तक पूरी दूरी पर ले बार बार जमीन से उठा उठा कर रखा जाए और इस तरह वहां तक ले जाया जाए, है ना? ---- फिर?  फिर कुछ मुश्किल नहीं. सिविल इंजिनियर एक सर्वे तकनीक जानते हैं, वे अपनी सर्वे मशीन्स को धरती पर टिका कर कुछ रीडिंग्स लेते हैं और बस हो गया :)

लेकिंग आसमान में सर्वे मशीन कैसे रखी जायेगी? क्या हम बुध ग्रह पर मशीन रख कर वहां से रीडिंग ले पाएंगे की मंगल ग्रह कितना दूर है उससे? नहीं न? फिर क्या करें?

बहुत आसान है. आप जहाँ भी बैठे हैं अभी, वहां से करीब १०-२० मीटर दूरी की कोई एक वस्तु का कोई एक कोना चुन लीजिये. कोई भी वस्तु चुन सकते हैं - पंखा, टीवी, खिड़की का ऊपरी कोना, बाहर दीखता कोई पेड़ आदि।  अब अपनी एक आँख बंद करें और एक हाथ से उस बिंदु पर point करें - आपकी ऊँगली ठीक उस पॉइंट पर हो। हो गया? अब वह आँख खोल कर दूसरी आँख बंद करें. आपकी ऊँगली उस बिंदु से हट गयी होगी। इसे parallax कहते हैं। आप सब बचपन में रेखागणित (ज्योमेट्री ) में त्रिभुजों (triangles) के बारे में पढ़ चुके होंगे। हमारे हाथ की ऊँगली हमारी आँख से कितनी दूर थी और वह वस्तु कितनी दूर है इन दोनों का सम्बन्ध इस बात से है की वह वस्तु कितनी दूर हिली हुई प्रतीत होगी। ठीक यही आप बिना किसी दूरी की चीज़ को देखे भी कर सकते हैं, आपकी दोनों आँखों के बीच नाक है।  बस अपने मोबाइल या लैपटॉप की तरफ देखते हुए (जो भी अक्षर पढ़ रहे है उसे ही देख लीजिए ) पहले एक फिर दूसरी आँख बंद करें और खोलें. आपको अपना वह अक्षर हर बार हिलता हुआ दिखेगा, और इसकी दूरी आपकी नाक के कारण आपकी दोनों आँखों से जो parallax बन रहा है उसके बारे में बताएगा।  या फिर अपनी नाक के किनारे को ही एक एक आँख बंद करते खोलते हुए देखें, वह भी हिलता नज़र आएगा. यह सब एक ही रेखागणित पर आधारित है। 

इसी तरह अपने से कुछ दूर एक ऊँची इमारत की छत  के एक कोने पर देखें, एक आँख बंद कर हाथ दूर रखते हुए एक ऊँगली एक कोने पर पॉइंट करें, और फिर उस आँख को बंद कर दूसरी आंख खोल कर देखें।  इस तरह उस ईमारत की दूरी/ ऊंचाई (नीचे से ऊपर देखते हुए) आप जान सकते हैं।  मैं फार्मूला वगैरह नहीं लिख रही, सब कुछ गूगल पर उपलब्ध है। मैं सिर्फ तरीके की बात कर रही हूँ यहां। 

अब इसी तरह अपने घर के आगे या किसी और ऊँची इमारत (जिसकी ऊंचाई आप जानते हैं) के कोने से चन्द्रमा को एक आँख से align  करने के बाद दूसरी आँख से देखे, आप उस की दूरी जान सकते हैं। ( छत के कोने को अपनी ऊँगली समझें और दूर आसमान में चाँद को एक एक कर दोनों आँखों से देखें)

_____

अब आगे की पोस्ट अभी ही पढ़ेंगे या कल? आपकी मर्जी है , मैं यहीं लिख रही हूँ, आप अपने कम्फर्ट से तय कीजिये की एक बार में पढ़ना है या टुकड़ों में।  

_____

अब आप ऊपर के चित्र को समझ चुके होंगे।  आप यह भी जानते हैं की चाँद की दूरी धरती से कितनी है।  अब आप याद कीजिये, क्या आप कभी किसी पुराने भारतीय जंतर मंतर पर गए हैं? दिल्ली में एक है ,उज्जैन, जयपुर, चेन्नई, में भी।  गूगल पर मिल जायेगा, एक लिंक यह रहा https://en.wikipedia.org/wiki/Jantar_Mantar 



इनसे हमारे पूर्वज खगोलीय पिंडों के बारे में अध्ययन करते थे। आप समझ ही सकते हैं कैसे होता होगा। 

अब चन्द्रमा से आगे बढ़ते हैं।  चन्द्रमा की दूरी जानते हैं न? तो उसे अपनी ऊँगली समझिये और इसके साथ किसी पास के तारे की दूरी जान पाएंगे आप।  लेकिंग बहुत दूरस्थित आकाश गंगाओं पर यह काम नहीं करेगा।  धरती के orbit  (कक्षा) के बारे में हम जानते हैं ही।  ६ महीने के अंतराल से धरती अपनी कक्षा के सबसे अधिक दूरी के छोर पर जब हो तब दो रीडिंग्स ली जाये, चन्द्रमा को ऊँगली मान कर (चंद्रमास का एक ही दिन और समय होना चाहिए) तब दूर स्थित आकाश गंगाओं की दूरी नापी जा सकती है। बहुत से तरिकके हैं, आप और आपका मित्र यदि दो शहरों में हैं तो शाम के एक ही समय दोनों चन्द्रमा की तरफ देखने का angle  देख कर भी यह पता कर पाएंगे। 










कुछ आकाश गंगाएं इतनी अधिक दूर हैं की धरती की कक्षा का व्यास भी काम पड़ जाए।  इनके लिए दूसरे तरीके हैं, फिर कभी उन पर चर्चा करेंगे। 

फिर मिलेंगे, स्वस्थ्य रहिये, प्रसन्न रहिये ....