Corot 7 b नामक ग्रह पर बरसात हम जैसी नहीं होती। यहां बरसते हैं पत्थर।
विश्वास नहीं होता ? आइए सुनिए यह कैसे होता है ।
इस ग्रह पर एक तरफ करीब 3000 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान है। इस तापमान से पत्थर पिघल कर और सूख कर भाप बन जाते हैं , और आसमान में उड़ जाते हैं । जब यह पत्थरों की वाष्प ग्रह के दूसरी तरफ पहुंचती है , तो वहां का तापमान काफी कम पाती है ।
यह तापमान करीब-करीब 200 डिग्री सेंटीग्रेड है । धरती जितना कम नहीं , लेकिन इस तापमान पर यह वाष्पीकृत पत्थर पहले बादल , और फिर मैग्मा बनकर बरसने लगते हैं ।
नीचे आते आते यह मैग्मा अपने जमने के तापमान से कम होने से फिर से पत्थर बन चुका होता है । इस तरह वहांँ की बारिश पानी की नहीं , पत्थर की होती है ।
आप इसे धरती पर गिरने वाले ओलों जैसा समझ सकते हैं । फर्क यह है कि यहां के ओले पानी के बने हैं जो बर्फ बन चुका है , और वहां के ओले पत्थरों के बने हैं ।
विश्वास नहीं होता ? आइए सुनिए यह कैसे होता है ।
इस ग्रह पर एक तरफ करीब 3000 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान है। इस तापमान से पत्थर पिघल कर और सूख कर भाप बन जाते हैं , और आसमान में उड़ जाते हैं । जब यह पत्थरों की वाष्प ग्रह के दूसरी तरफ पहुंचती है , तो वहां का तापमान काफी कम पाती है ।
यह तापमान करीब-करीब 200 डिग्री सेंटीग्रेड है । धरती जितना कम नहीं , लेकिन इस तापमान पर यह वाष्पीकृत पत्थर पहले बादल , और फिर मैग्मा बनकर बरसने लगते हैं ।
नीचे आते आते यह मैग्मा अपने जमने के तापमान से कम होने से फिर से पत्थर बन चुका होता है । इस तरह वहांँ की बारिश पानी की नहीं , पत्थर की होती है ।
आप इसे धरती पर गिरने वाले ओलों जैसा समझ सकते हैं । फर्क यह है कि यहां के ओले पानी के बने हैं जो बर्फ बन चुका है , और वहां के ओले पत्थरों के बने हैं ।
वाह, अद्भुत जानकारी, किसी पुराण में पढ़ा था पहले पहाड़ों के भी पंख होते थे..हो सकता था किसी जमाने में धरती पर भी ऐसा होता रहा हो.पहाड़ भी उड़ते रहे हों पत्थरों के रूप में..
जवाब देंहटाएंऔर हमारे देश में यह माना जाता है कि भूत प्रेत का प्रकोप होता है तब पत्थर बरसते हैं.
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारी!
वाह, अद्भुत जानकारी है
जवाब देंहटाएंअचंभित करने वाली जानकारी
जवाब देंहटाएंNice Post, Love reading your blogs and amazing writing style.
जवाब देंहटाएंDigi Patrika