भाग एक (समय कैसे धीमा हो जाता है?) पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
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time dilation at light velocity part 2 समय का फैलाव एवं लम्बाई में कमी भाग दो
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इस भाग में हम length contraction या प्रकाश वेग से गतिमान वस्तु की लम्बाई में आई कमी पर बात करेंगे
यदि आपने पिछले भाग नहीं पढ़ा है तो ऊपर लिंक क्लिक कर के उसे पढ़ आइये - तब यह भाग आसानी से समझ पाएंगे। वहां हमने यह समझा कि समय का फैलाव कैसे होता है और कैसे स्पेशशिप में गया astronaut जब धरती पर लौटता है तो उसके हम उम्र लोग शायद बूढ़े हो चुके होंगे और वह अब भी तकरीबन उसी उम्र का/ की रह गया होगा।
यह सिर्फ इतना ही नहीं होता जितना मैंने पिछले भाग में कहा। यहां क्योंकि einstein के अनुसार दोनों ही आब्जर्वर एक दूसरे को गतिमान और स्वयं को स्थिर मान रहे हैं और दोनों समझ रहे है की उनकी घड़ी नार्मल और दूसरे की धीमी है - इससे तो दोनों को यही लगना चाहिए कि दूसरा कम उम्र का रह गया और मेरी उम्र नार्मल बढ़ी। तबै जब वह व्यक्ति धरती पर लौटेगा तो कौन बूढ़ा होगा और कौन जवान ? यह twin paradox कहलाता है क्योंकि ऐसा तो नहीं हो सकता कि दोनों ही अपने को बूढ़ा और दूसरे को जवान पाएं लौटते हुए ? लेकिन ऐसा नहीं होता - स्पेस से लौटा व्यक्ति ही कम उम्र का रह जाता है। यह gravity के कारण और समय की रफ्तार पर इसी गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से होता है - यह बात किसी और पोस्ट में करेंगे ।
मैं जानते बूझते मुख्य पोस्ट में गणितीय समीकरण नहीं लिख रही हूँ - यह समीकरण बाद में हर पोस्ट में जोड़ दूँगी। सिर्फ concept या सिद्धांत भर समझने समझाने के प्रयास हैं ये पोस्ट्स। यह सब पढ़ने सुनने में अजीब लगता है क्योंकि हम आम जीवन में इस परिस्थिति को नहीं देखते हैं। आम जीवन में कोई भी प्रकाश की गति पर नहीं चलता और आम गति पर रिलेटिविटी के सिद्धांत इतना कम असर करते हैं कि हमारे अनुभव से हमें यह पता ही नहीं चलता।
मान लीजिये "शिल्पा" धरती पर है और "नीता" एक प्रकाश गति के समीप की गति से उड़ते विमान पर। यह भी मानिये कि नीता के विमान के आगे और पीछे उसकी ही ठीक बराबर गति से चलते दो विमान और हैं - कुल तीन विमान हैं - ऐसे:
तीनों ही विमान प्रकाश के करीब की गति से उलटे हाथ से सीधे हाथ की तरफ बढ़ रहे हैं। अब समय के एक पल में नीता एक प्रकाश बिंदु दोनों तरफ भेजती है - कि हम तीनों को एक साथ तीनों विमानों की गति बढ़ानी है। क्योंकि प्रकाश की गति दोनों दिशाओं में समान है और नीता के लिए अपनी ही गति से उड़ते तीनों विमान स्थिर दिख रहे हैं। (X, Y, and Z) , तो नीता के लिए अपने आगे और पीछे वाले विमानों तक उसकी भेजी हुई किरण एक संग पहुंचेगी (दोनों तरफ बराबर दूरी है और प्रकाश गति भी दोनों तरफ बराबर है) तो नीता के दृष्टिकोण से तीनों विमान एक ही साथ अपनी गति बढ़ाएंगे - तो तीनों की दूरी पहले जितनी ही बनी रहेगी। (उदाहरण के लिए यदि आप ट्रेन के भीतर बैठे हैं तो आपके लिए आपके आगे वाला और आपके पीछे वाला कम्पार्टमेंट आप ही की गति से चल रहा होने से स्थिर प्रतीत होता है , यदि आप दोनों तरफ एक साथ दो बॉल फेंकें तो वे दोनों एक साथ बराबर दूरी के अगले पिछले कम्पार्टमेंट को लगेंगी। तो नीता के लिए तीनों विमान एक साथ उतनी ही दूरी पर बने रहेंगे। जबकि प्लेटफॉर्म पर खड़े आपके मित्र के लिए आप तीनों ही स्थिर नहीं हैं बल्कि समान गति से आगे बढ़ रहे हैं)
अब धरती पर स्थिर खड़ी शिल्पा क्या देखेगी ? उस आब्जर्वर के लिए तो तीनों विमान गतिमान हैं - तो Y से निकली प्रकाश किरण जब X की तरफ बढ़ रही है , तब खुद X भी तो Y की तरफ बढ़ रहा है न ? तो प्रकाश किरण को X तक पहुँचने के लिए कम दूरी तय करनी है। ऐसे ही Z की तरफ प्रकाश बढ़ रहा है और Z खुद भी Y से दूर जा रहा है। तो उसे पीछे से दौड़ कर पकड़ने के लिए प्रकाश किरण को अधिक दूरी तय करनी होगी। यह कुछ ऐसा है
अब शिल्पा की दृष्टि में विमान X को गति बढ़ाने का सिग्नल पहले मिला और Z को आखरी में। तो X तुरंत गति बढ़ा देने से Y के कुछ पास पहुंचेगा और Y खुद भी गति बढ़ा कर Z के पास पहुंचेगा। तो अब Z अपनी गति बढ़ाएंगे लेकिन तब तक तीनों की आपसी दूरी शिल्पा के दृष्टि कोण में पहले से कम रह गयी। नीता के दृष्टिकोण में यह दूरी अब भी उतनी ही है। यह देखिये :
यह है लम्बाई घटने का सिद्धांत।
मजे की बात यह है कि हर आब्जर्वर खुद को स्थिर और दूसरे को चलायमान देख रहा है। तो नीता को शिल्पा का संसार छोटा होता दिख रहा होगा जबकि शिल्पा को नीता का।
यह भी पैराडॉक्स ही है।
तो अब विमान में बैठी नीता यदि प्रकाश वेग से चली तो उसके लिए बाहरी संसार इतना छोटा हो जाएगा कि वह पल भर गुज़रने के पहले ही पूरा संसार देख लेगी। और धरती पर रुकी शिल्पा के लिए नीता की समय घड़ी पूरी तरह धीमी होते होते रुक से गयी है - तो शिल्पा को लगेगा कि नीता ने (नीता की घड़ी के अनुसार) पल भर में पूरे संसार का चक्कर लगा लिया है।
यही है प्रकाश वेग पर चलते विमान की लम्बाई घटने का सिद्धांत।
रोचक जानकारी
जवाब देंहटाएंसरल ढंग से एक जटिल विषय को समझाने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंकमाल है बहन! इस प्रकार सहज और सरल उदाहरण देकर कठिन से कठिन विषय को बच्चों और बड़ों, दोनों के लिए सुलभ बनाया जा सकता है! धन्यवाद इस प्रयास के लिए!
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