यह कहानी कहीं पढ़ी थी कभी - शायद किसी ई मेल में .... यह एक चाइनीज़ प्रोवेर्ब (चीनी लोक कहावत ) पर आधारित है |
एक आदमी रोज़ नदी से पानी भर कर साहेब के घर तक ले जाया करता था. कन्धों पर एक लम्बी लकड़ी होती, जिसके दोनों सिरों पर एक एक घड़ा बंधा होता | उनमे से एक घड़ा थोडा सा क्रैक्ड था, तो सारे रास्ते उसमे से पानी रिसता रहता | तो मंजिल तक आते आते - एक घड़ा पूरा भरा होता, तो दूसरा सिर्फ आधा रह जाता | पहला घड़ा तो अपने पर्फोमेंस से काफी खुश था लेकिन यह घड़ा हमेशा हीन भावना में घिरा रहता |
एक दिन इस घड़े ने आदमी से कहा - तुम मुझे फेंक दो - और दूसरा घड़ा ले आओ - क्योंकि मैं अपना काम ठीक से नहीं कर पाता हूँ | तुम इतना भार उठा कर शुरू करते हो लेकिन पहुँचने तक मैं आधा खाली होता हूँ ....|
इस पर आदमी ने उसे कहा - की आज जाते हुए तुम नीचे पगडण्डी को देखते चलना | घड़े ने ऐसा ही किया - रस्ते भर रंग बिरंगे फूलों से भरे पौधे थे | लेकिन मंजिल आते आते वह फिर आधा खाली हो जाने से दुखी था - उसने बोलना शुरू ही किया था की आदमी ने कहा - अभी कुछ मत कहो - लौटने के समय रास्ते की दूसरी तरफ भी देखते जाना | और लौटते हुए घड़े ने यह भी किया - लेकिन इस तरफ कोई फूल न थे....
नदी के किनारे अपने घर लौट कर उस आदमी ने घड़े को समझाया - मैं पहले से जानता हूँ की तुमसे पानी नहीं संभल पाता - पर यह बुरा ही हो ऐसा ज़रूरी तो नहीं !!! मैंने तुम्हारी और फूलों के पौधे रोप दिए थे - जिनमे तुम्हारे द्वारा रोज़ पानी पड़ता रहा - और वे खिलते रहे .... |
इसीलिए - हमें समझना है की जीवन में हर चीज़ परफेक्ट हो ऐसा कोई आवश्यक तो नहीं - ज़रुरत इस बात की है की हम हर कमी को पोजिटिव बना पाते हैं - या नहीं ..... | तो अब से हम - किसी को क्रैक्ड पोट कहने या- कोई हमें कहे तो हर्ट होने - से पहले यह कहानी याद करें ....
बड़िया
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